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________________ 654 अंग-पविटु सुत्ताणि एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 3 अहवा एगे रयण जाव एगे वालुय० एगे धूम० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 4 अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे पंक० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 5 अहवा एगे. रयण० एगे वालुय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 6 अहवा एगे सक्कर० एगे वालुय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 7 / सत्त भंते ! णेरइया रइयपवेसणएणं पविसमाणा० पुच्छा, गंगेया ! रयण० वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा 7, अहवा एगे रयण० छ सक्कर० होज्जा एवं एएणं कमेणं जहा छण्हं दुयासंजोगो तहा सत्तण्हवि भाणियध्वं गवरं एगो अन्महिओ संचारिज्जइ, सेसं तं चेव, तियासंजोगो चउक्कसंजोगो पंचसंजोगो छक्कसंजोगो य छण्हं जहा तहा सत्तण्हवि भाणियन्वं, णवरं एक्केको अम्महिओ संचारेयन्वो जाव छक्कगसंजोगो अहवा दो सक्कर० एगे वालुय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा / अट्ट भते. ! णेरइया जेरइयपवे. सणएणं पविसमाणा० पुच्छा, गंगेया ! रयण० वा होज्जा जाव अहेसतमाए वा होज्जा अहवा एगे रयण सत्त सक्कर० होज्जा एवं दुयासंजोगो जाव छक्कसंजोगो य जहा सत्तण्हं भणिओ तहा अट्टाहविभाणियन्वो णवरं एक्केको अन्भहिओ संचारेयव्वो सेसं तं चेव जाव छक्कसंजोगस्स अहवा तिणि सक्कर० एगे वालुय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० जाब एगे तमाए दो अहेसत्तमाए होज्जा अहका एगे रयण. जाव दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा एवं संचारेयव्वं जाव अहवा दो रयण० एगे सक्कर० जाव एगे अहे. सत्तमाए होज्जा। णव भंते ! णेरइया रइयपवेसणएणं पबिसमाणा कि रयण होज्जा० ? पुच्छा, गंगेया ! रयण० वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा अहवा एगे रयण० अट्ट सक्करप्पभाए होज्जा एवं दुयासंजोगो जाव सत्तग. संजोगो य जहा अट्टण्हं भणियं तहा णवण्हंपि भाणियव्वं णवर एकेको अब्भहिओ संचारेयव्वो, सेसं तं चेव पच्छिमो आलावगो अहवा तिणि रयण० एगे सक्कर० एगे वालय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा / दस भंते ! रइया रइयपवेसणएणं पविसमाणा० पुच्छा, गंगेया ! रयण वा होज्जा जाव अहे. सत्तमाए वा होज्जा 7 अहवा एगे रयण० णव सक्कर होज्जा एवं दुयासंजोगो जाव सत्तसंजोगो य जहा णवण्हं णवरं एक्केक्को अन्महिओं संचारेयन्वो सेसं तं चेव पच्छिमो आलावगो अहवा चत्तारि रयण० एगे सक्कर० जाव एगे अहेसत्त
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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