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________________ भगवई स. 9 उ. 32 655 माए होज्जा / संखेज्जा भंते ! णेरइया णेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा० पुच्छा, गंगेया ! रयण वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा 7 अहवा एगे रयण० संखेज्जा सक्कर० होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयणसंखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहंवा दो रयण० संखेज्जा सक्कर० होज्जा एवं जाव अहवा दो रयण संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिण्णि रयण० संखेज्जा सक्कर० होज्जा एवं एएणं कमेणं एक्केको संचारेयस्वो जाव अहवा दस रयण संखेज्जा सक्कर० होज्जा एवं जाव अहवा दस रयण संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा संखेज्जा रयण० संखेज्जा सक्कर० होज्जा जाव अहवा संखेज्जा रयण संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे सक्कर० संखेज्जा वालुय० होज्जा एवं जहा रयणप्पभा उवरिमपुढवीहिं समं चारिया एवं सक्करप्पभावि उवरिमपुढवीहि समं चारेयव्वा, एवं एक्केक्का पुढवी उवरिमपुढवीहिं समं चारेयव्वा जाव अहवा संखेज्जा तमाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० संखेज्जा वालुय० होज्जा अहवा एगे रयण. एगे सक्कर० संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा जावः अहवा एगे रयण० एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण दो सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयण दो सक्कर० संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० तिणि सक्कर० संखेज्जा वालयप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं एक्केवको संचारेयव्वो जाव अहवा एगे रयण संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पमाए होज्जा जाव अहवा एगे रयण. संखेज्जा वालुय० संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयण संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयण संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिणि रयण संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पमाए होज्जा, एवं एएणं एक्केक्को रयणप्पभाए संचारियव्वो जाव अहवा संखेज्जा रयण संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा संखेज्जा रयण० संखेज्जा सक्कर० संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे वालुय० संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयण० एगे वालुय० संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्ज़ा अहवा एगे रयण० दो वालय. संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं तियासंजोगो चउक्कसंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा दसण्हं तहेव भाणियन्वो पच्छिमो आलावगो सत्तसंजोगस्स अहवा संखेज्जा रयण संखेज्जा
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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