________________ 578 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि जाव कज्जइ ॥२६६॥आहाकम्मण्णं भंते ! भंजमाणे किं बंधइ ? कि पक. रेइ ? कि चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? एवं जहा पढमे सए णवमे उद्देसए तहा भाणियध्वं जाव सासए पंडिए पंडियत्तं असासयं / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति // 267 // __ सत्तमं सयं णवमो उद्देसो . असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवण्णं एगरूवं विउवित्तए ? णो इणठे समठे। असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवणं एगरूवं जाव हंता ! प / से भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ ? गोयमा! इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउच्वइ णो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ णो अण्णत्थ. गए पोग्गले जाव विउव्वइ, एवं एगवणं अणेगरूवं चउभंगो जहा छट्ठसए णवमे उद्देसए तहा इहा वि भाणियन्वं, णवरं अणगारे इह गयं इहगए चेव पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ, सेसं तं चेव जाव लुक्खपोग्गलं णिद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? हंता ! पभू, से भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता जाव णो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउन्वइ / / 268 ॥णायमेयं अरहया सुयमेयं अरहया विण्णायमेयं अरहया महासिलाकंटए संगामे। महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था के पराजइत्था ? गोयमा ! वज्जी विदेहपुत्ते जइत्था, णवमल्लई णवलेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो पराजइत्था / तए णं से कोणिए राया महासिलाकंटगं संगाम उवट्ठियं जाणित्ता कोडुंबिय. पुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! उदाई हत्थिरायं पडिकप्पेह हयगयरहजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णाहेह 2 ता मम एयमा. पत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह / तए गं ते कोडुंबियपुरिसा कोणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठ जाव अंजलि कटु एवं सामी ! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुगंति 2 खिप्पामेव छेयायरियोवएसमइकप्पणाविकप्पेहि सुणिउणेहिं एवं जहा उववाइए जाव भीमं संगामियं अउज्झं उदाई हत्थिरायं पडिकति हयगय जाव सण्णाति 2 जेणेव कूणिए राधा तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता करयल० कणियस्स रप्णो तमाणत्तियं पच्चप्पिणति / तए