________________ 502 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि वइ / से जहाणामए केइ पुरिसे सुक्कं तणहत्ययं जायतेस पक्लिवेज्जा, से पूर्ण मंडियपुता! से सुवके तमहत्थए जायतेयंसि पक्खि ते समाणे खिप्पा. मेव मसमसाविज्जइ ? हंता ! मसमसाविज्जइ ? से जहाणामए-केइ पुरिसे ततंसि अयकवल्लंसि उदयबिद पक्खिवेज्जा, से णणं मंडियपत्ता ! से उदयबिदू तत्तंसि अयकवल्लसि पक्वित्ते समाणे खि-पामेव विद्धंसमा. गच्छइ ? हंता ! विद्धंसमागच्छइ / से जहाणामए हरए सिया पुणे पुण्ण. प्पमाणे बोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरघडताए विट्ठः ? हंता चिट्ठइ, अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरयंसि एगं महं णावं सयासवं सयच्छिदं ओगाहेज्जा से गूणं मंडियपुत्ता ! सा णावा तेहि, आसवारेहि आपूरेमाणी 2 पुग्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठइ ? हंता ! चिट्ठइ, अहे गं केइ पुरिसे तीसे गावाए सवओ समंता आसवदाराई पिहेइ 2 णावा. उरिसचणएणं उदयं उस्सिचिज्जा से णणं मंडियपुत्ता ! सा णावा तंति उदयसि उस्सिचिजंसि समाणंसि खिप्पामेव उड्ढं उदाइ ? हंता ! उदाइ, एवा. मेव मंडियपुत्ता ! अत्तत्तासंवुडस्स अणगारस्स इरियासमियस्स जाव गुत्तबंभयारिस्स आउत्तं गच्छमाणस्स चिट्ठमाणस्स णिसीयमाणस्स तुयट्टमाणस्स आउत्तं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछणं गेहमाणस्स णिक्खिवमाणस्स जाव चक्खुपम्हणिवायमवि माया सुहमा इरियावहिया किरिया कज्जइ, सा पढमसमयबद्धपुट्ठा बिइयसमयवेइया तइयसमयणिज्जरिया सा रद्धा पुट्ठा उदीरिया वेड्या णिज्जिण्णा सेयकाले अफम्भ वावि भवइ, से तेगळेणं मंडियपुत्ता ! एवं बच्चइ-जावं च णं से जीवे सया समियं णो एयइ जाव अंते अंतकिरिया भवइ // 152 // पमत्तसंजयस्स णं भंते ! पमत्ततंजमे वट्टमाणस्स सव्वावि य णं पमत्तद्धा कालओ केवच्चिरं होइ ? मंडियपुत्ता ! एगजीवं पडुच्च जह ण्णणं एक्कं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी, जाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धा। अप्पमत्तसंजयस्स णं भंते ! अप्पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्वावि य णं अप्पमत्तद्धा कालओ केवच्चिरं होइ ? मंडियपुत्ता ! एगजीवं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमहत्तं उक्को० पुवकोडी देसूणा, णाणाजीवे पडुच्च सम्वद्धं / सेवं भंते ! 2 त्ति भगवं मंडियपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ // 153 // भंते ! ति भगवं