________________ अंग-पविट्ठ सुत्ताणि ओमोयरियं चाएइ, अपुढेवि भगवं रोगेहिं; पुट्ठो वा से अपुट्ठा वा, णो से साइजइ तेइच्छं // 513 // संसोहणं च वमणं च, गायभंगणं च सिणाणं च; संबाहणं ण से कप्पे, दंतपक्खालणं च परिणाए / / 514 // विरए य गामधम्मेहिं रीयइ माहणो अबहुवाई; सि सिरंमि एगया भगवं, छायाए झाइ आसी य // 515 // आयावई य गिम्हाणं अच्छइ उक्कुडुए अभितावे / अदु जावइत्थ लूहेणं, ओयणमंथुकुम्मासेणं / / 16 / / एयाणि तिण्णि पडिसेवे, अट्टमासे य: जावयं भगवं: अवि इत्थ एगया भगवं,अद्धमासं अदुवा मासंपि // 517|| अविसाहिए दुवे मासे, छप्पिमासे अदुवा अपिवित्ता / रायोवरायं विहरित्था अपडिण्णे अण्णगिलायमेगया भुंजे॥५१८॥छटेण एगया भुंजे, अदुवा अट्ठमणं दसमेणं; दुवालसमेण एगया भुंजे, पेहमाणे समाहिं अपडिण्णे।।५१९॥णचा णं से महावीरे, णोवि य पावगं सयमकासी। अण्णेहिं वा ण कारित्था, कीरंतंपि णाणुजाणित्था.॥५२०॥ गामं पविस्स णयरं वा, घासमेसे कडं परढाए; सुविसुद्धमेसिया भगवं, आययजोगयाए सेवित्था // 521 // अदु वायसा दिगिंच्छित्ता, जे अण्णे रसेसिणो सत्ता; घासेसणाए चिट्ठति, सययं णिवइए य पेहाए // 522 // अदु माहणं व समणं वा, गामपिंडोलगं च अइहिं वा; सोवागं मूसियारं वा, कुक्कुरं वा विट्ठियं पुरओ॥५२३॥वित्तिच्छेयं वज्जतो, तेसिमप्पत्तियं परिहरंतो; मंदं परक्कमे भगवं, अहिंसमाणो घासमेसित्था // 524 / / अविसूइयं वा सुकं वा, सीयपिंडं पुराणकुम्मासं; अदु बुक्कसं पुलागं वा, लद्धे पिंडे अलद्धए दविए // 525 // अवि झाइ से महावीरे, आसणत्थे अकुक्कुए झाणं; उड्डमहेयं तिरियं च, पेहमाणे समाहिमपडिण्णे // 526 // अकसाई विगयगेही य, सहरूवेसु अमुच्छिए झाइ छउमत्थो वि परक्कममाणो ण पमायं सइंपि कुवित्था // 527 // सयमेव अमिसमागम्म, आययजोगमायसोहीए / अभिणिबुडे अमाइल्ले आवकहं भगवं समिआसी / / एस विही अणुकंतो माहणेण मईमया; बहुसो अपडिणेण भगवया एवं रीयंति त्ति बेमि / / 528 // चउत्थोद्देसो समत्तो / / उवहाणसुयं णवमज्झयणं समत्तं // ||बंभचेर णाम पढमो सुयक्खंधो समत्तो।। MAU