________________ आयारो सु. 1 अ. 9 उ. 1 31 णओ।४४७) अयं से अवरे धम्मे, णायपुत्तण साहिए; आयवज पडीयारं, विजहिज्जा तिहा तिहा।४४८। हरिएसु ण णिवज्जेज्जा,थंडिलं मुणिआ सए: विउस्सिज्ज अणाहारो पुट्ठो तत्थऽहियासए / 449 / इंदिएहिं गिलायतो, समियं आहारे मुणी; तहावि से अगरिहे, अचले जे समाहिए / 450 / अभिक्कमे पडिक्कमे, संकुचए पसारए; कायसाहारणट्ठाए, इत्थं वा वि अचेयणे / 451 // परिक्कमे परिकिलंते, अदुवा चिट्टे अहायए; ठाणेण परिकिलंते, णिसिइज्जाय अंतसो / 452 / आसीणेऽणेलिसं मरणं, इंदियाणि समीरए; कोलावासं समासज्ज, वितहं पाउरेसए / 453 / जओ वजं समुप्पजे, ण तत्थ अवलंबए; तओ उक्कसे अप्पाणं, फासे तत्थ अहियासए / 454 / अयं चाययतरे सिया, जो एवं अणुपालए; सव्वगायणिरोहेवि, ठाणाओ ण विउब्भमे / 455 / अयं से उत्तमे धम्मे, पुवठ्ठाणस्स पग्गहे; अचिरं पडिलेहित्ता, विहरे चिट्ठ माहणे / 456 / अचित्तं तु समासज्ज, ठावए तत्थ अप्पगं; वोसिरे सव्वसो कायं, ण मे देहे परीसहा / 457 / जावजीवं परीसहा, उवसग्गा इय संखया; संवुडे देहभेयाए इय पण्णेऽहियासए // 458 / / भेउरेसु ण रज्जेज्जा, कामेसु बहुयरेसु वि; इच्छा लोभ ण सेवेजा, धुवंवण्णं संपेहिया / 459 / सासए हिं णिमंतेज्जा, दिव्वमायं ण सहहे; तं पडि. बुज्झ माहणे, सव्वं गुम विहूणिया / 460 सवढेहिं अमुच्छिए, आउकालस्स पारए; तितिक्खं परमं णचा, विमोहण्णयरं हियं त्ति बेमि / 461 / अटमोइसो समत्तो।। ॥उवहाण-सुयं णाम नवमं अज्झयणं / अहासुयं वइस्सामि,जहा से समणे भगवं उठाए;संखाए तंसि हेमंते, अहुणा पव्व- . इए रीइत्था / 462 / णो चेविमेण वत्थेण, पिहिस्सामि तसि हेमंते; से पारए आवकहाए, एवं खु अणुधम्मियं तस्स / 463 / चत्तारि साहिए मासे, बहवे पाणजाइया आगम्म; अभिरुज्झकायं विहरिसु, आरुसियाणं तत्थ हिँसिंस।४६४|संवच्छरं साहियं मासं, जंण रिक्कासि वत्थगं भगवं; अचेलए तओ चाई, तं वोसिरिज वत्थामणगारे / 465 / अदु पोरिसिं तिरियंभित्ति, चक्खुमासज्ज अंतसो झायइ; अह चक्खुभीया संहिया, ते हता 2 बहवे कंदिसु / 466 / सयणेहिं वितिमिस्से हिं, इत्थीओ तत्थ से परिणाय;सागारियं ण सेवेइ य से सयं पवेसिया झाइ।४६७ जे के इमे अगारत्था, मीसीभावं पहाय से झाइ; पुट्ठो वि णाभिभासिंसु, गच्छइ णाइवत्तइ अंजू // 468 // जो सुकरमेयमेगेसिं, णाभिभासे अभिवायमाणे हयपुव्वे तत्थ दंडेहि, लूसियपुव्वे 'अप्पपुण्णेहिं // 469 / / फरुसाई दुत्तितिक्खाई, अइ अच्च मुणी परकममाणे; आघायणगीयाई, दंडजुज्झाई मुट्ठिजुज्झाई।४७०/गढिए मिहो कहासु, समयमि णायसुए