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________________ समवाओ-तित्थयराइ 415 पेढालपुत्ते य, पोट्टिले सत (त) कित्ति य / मुणिसुवए य अरहा, सव्वभावविऊ जिणे / / 73 // अममे णिक्कसाए य, णिप्पुलाए य णिम्ममे। चित्तउत्ते समाही य, आगमिस्सेण होक्खइ / / 74 // संवरे (जसोहरे) अणियट्टी य, विजए विमले इय / देवोववाए अरहा, अणंतविजए इय // 75 // एए वुत्ता चउव्वीस, भरहे वासम्मि केवली / आगमिस्सेण होक्खंति, धम्मतित्थस्स देसगा // 76 // 188 // एएसि णं चउव्वीसाए तित्थयराणं पुव्वभविया चउव्वीसं णामधेज्जा भविस्संति, त०सेणिय सुपास उदए पोट्टिल्ल अणगार तह दढाऊ य / कत्तिय संखे य तहा णंद सुणंदे य सयए य / / 77 // बोद्धव्वा देवई य सच्चइ तह वासुदेव बलदेवे / रोहिणि सुलसा चेव तत्तो खलु रेवई चेव // 78 // तत्तो हवइ सयाली बोद्धब्वे खलु तहा भयाली य / दीवायणे य कण्हे तत्तो खलु णारए चेव // 79 // अंबड दारुमडे य साई बुद्ध य होइ. बोद्धव्वे / भावीतित्थयराणं णामाई पुव्वभवियाई // 8 // 189 // एएसि णं चउव्वीसाए तित्थयराणं चउव्वीस पियरो भवि. स्संति, चउव्वीसं मायरो भविस्संति, चउव्वीसं पढमसीसा भविस्संति, चउव्वीसं पढमसिस्सणीओ भविस्संति, चउव्वीसं पढमभिक्खादायगा भविस्संति, चउव्वीसं चेइयरुक्खा भविस्संति // १९०.||जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे बासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए बारस चक्कवट्टिणो भविस्संति, तं०-भरहे य दीहदंते गूढदंते य सुद्धदंते य। सिरिउत्ते सिरिभूई सिरिसोमे य सत्तमे // 81 / पउमे य महापउमे विमलवाहणे विपुलवाहणे चेव / वरिढे बारसमे वुत्ते आगमिसा भरहाहिवा // 82 // एए सि णं बारसण्हं चंकवट्टीणं बारस पियरो भविस्संति, बारस मायरो भविस्संति बारस इत्थीरयणा भविस्संति // 19 // जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए णव बलदेववासुदेव पियरो भविस्संति, णव वासुदेवमायसे भविस्संति, णव बलदेवमायरो भविस्संति, गव दसारमंडला भविस्संति, तं०उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी एवं सो चेव वण्णओ भाणियन्वो जाव णीलगपीतगवसणा दुवे दुवे राम-केसवा भायरो भविसति, तं जहा-णंदे य णंदमित्ते दीहबाहू तहा महाबाहू / अइबले महाबले बलभद्दे य सत्तमे / / 83 // दुविठू यं तिविठू य आगमिस्साण वण्हिणो / जयंते विजए भहे सुप्पभे ये सुदंसणे / आणंदे णंदणे पउमे संकरिसणे य अपच्छिमे / / 84 / / 192 // एएसि णं णवण्हं बलदेववासुदेवाणं पुव्वभविया णव णामधेजा भविस्संति, णव धम्माय
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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