________________ 414 अंग-पविट्ट सुत्ताणि जहक्कम कित्तइस्सामि / / 55 // विसणंदी य सुबंधू सागरदत्ते असोगललिए य / वाराह धम्मसेणे अपराइय रायललिए य // 56 // 180 // एए सिं णवण्हं बलदेववासुदेवाणं पुव्वभविया णव धम्मायरिया होत्था, तं०-संभूय सुभद्द सुदंसणे व सेयंसे कण्ह गंगदत्ते य / सागरसमुद्दणामे दुमसेणे य णवमए // 57|| एए धम्मा. यरिया कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं / पुषभवे एयासिं जत्थ णियाणाई कासी य // 58 // 181 // एएसिं णवण्हं वासुदेवाणं पुव्वभवे णव णियाणभूमिओ होत्था, तं.-महुरा य० हत्थिणापुरं च / / 59 // 182 / / एए सि णं णवण्हं वासुदेवाणं गव णियाणकारणा होत्या, तं०-गावी जुवे जाव माउया इय / / 60 // 183 / / एएसिं णवण्हं वासुदेवाणं णव पडिसलू होत्था, तं०-अस्सग्गीवे जाव जरासंधे / / 61 // एए खलु पडिसत्त जाव सचक्केहि // 62 // एक्को य सत्तमीए पंच य छट्ठीए पंचमी एक्को / एक्को य चउत्थीए कण्हो पुण तच्चपुढवीए // 63 // अणियाणकडा रामा [सव्वे वि य केसवा णियाणकडा / उढुंगामी रामा केसव सव्वे अहोगामी / / 64 // ] अटुंतकडा रामा एगो पुण बंभलोयकप्पम्मि / एक्का से गब्भवसही सिज्झिस्सइ आगमिस्सेणं // 65 // 184 // जंबुद्दीवे णं दीवे एरवए वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउव्वीसं तित्थयरा होत्था, तं०-चंदाणणं सुचंद अग्गीसेणं च गंदिसेणं च। इसिदिण्णं वय हारिं वंदिमो सोमचंद च // 66 / / वंदामि जुत्तिसेणं अजियसेणं तहेव सिवसेणं / बुद्धं च देवसम्म सययं णिक्खित्तसत्थं च // 67 // असंजलं जिणवसहं वंदे य अणंतयं अमियणाणिं / उवसंतं च धुयरयं वंदे खलु गुत्तिसेणं च // 68 / / अइपासं च सुपासं देवेसरवं दियं च मरुदेवं / णिवाणगयं च ध(व)रं खीणदुहं सामकोढें च।।६९||जियरागमग्गिसेणं वंदे खीणरायमग्गिउत्तं च / वोक्कसियपिज्जदोसं वारिसेणं गयं सिद्धिं // 70 // 185 / / जंबुद्दीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए भारहे वासे सत्त कुलगरा भविस्संति, तं०--मियवाहणे सुभूमे य सुप्पभे य सयंपमे / दत्ते सुहुमे सुबंधू य आगमिस्साण होक्खइ // 71 / / // 186 // जंबुद्दीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए एरवए वासे दस कुलगरा भविस्संति, तं०-विमलवाहणे सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे दढधणू दसधणू सयधणू पडिसूई सुमइ त्ति // 187 // जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए चउवीसं तित्थयरा भविस्संति, तं०-महापउमे सूर देवे, सुपासे य सयंपभे। सव्वाणुभूई अरहा, देवस्सुए य होक्खइ // 72 / / उदए