________________ 24 अंग-पविट्ट सुत्ताणि किं विधारए // 364 // संधेमाणे समुट्ठिए, जहासे दीवे असंदीणे // 365 // एवं से धम्मे आयरियपदेसिए // 366 // ते अणवकंखमाणा, पाणे अणइवाएमाणा दइया मेहाविणो पंडिया // 367 // एवं तेसिं भगवओ अणुट्टाणो जहा से दियापोए एवं ते सिस्सा दिया य राओ य अणुपुटवेण वाइय त्ति बेमि ॥३६८||छठें अज्झयणं तइओद्देसो समत्तो॥ एवं ते सिस्सा दिया य राओ य अणुपुत्रेण वाइया तेहिं महावीरेहिं पण्णाणमंतेहिं तेसिमंतिए पण्णाणमुवलब्भ हिचा उवसमं फारुसियं समाइयंति // 369|| वसित्ता बंभचेरंसि आणं तं णो त्ति मण्णमाणा // 370 // आघायं तु सोचा णिसम्म “समगुण्णा जीविस्सामो" एगे णिक्खमंते असंभवंता विडज्झमाणा कामेहिं गिद्धा अज्झोपवण्णा समाहिमाघायमजोसयंता सत्थारमेव 'फरुसं वयंति // 371 // सीलमंता उवसंता संखाए रीयमाणा " असीला" अणुवयमाणस्स बिइया मंदस्स बालया // 372 // णियट्ठमाणा वेगे आयारगोयरमाइक्खंति // 373 // णाणभट्ठा दंसणलूसिणो णममाणा एगे जीवियं विप्परिणामंति // 374 // पुट्ठावेगे णियमुति जीवियस्सेव कारणा, णिक्वंतंपि तेसिं दुणिक्खंतं भवइ // 375 / / बालवयणिज्जा हु ते णरा पुणो पुणो जाइं पकप्पंति अहे संभवंता विद्दायमाणा अहमंसि ति विउक्कसे उदासीणे फरुसं वयंति, पलियं पकत्थे अदुवा पकत्थे अतहेहिं तं मेहावी जाणिज्जा धम्मं // 376 // अहम्मट्ठी तुमंसि णायबाले, आरंभट्ठी अणुवयमाणे "हणपाणे" घायमाणे, हणओयावि समणुजाणमाणे "घोरे धम्मे उदीरिए" उवेहइ णं अणाणाए एस विसण्णे वियदे वियाहिए ति बेमि // 377 // किमणेणं भो ? जणेण करिस्सामि त्ति मण्णमाणे एवं एगे वइत्ता, मायरं पियरं हिचा, णायओ य परिग्गहं वीरायमाणा समुहाए अविहिंसा सुव्वया दंता, वरस दीणे उप्पइए पडिवयमाणे // 378 // वसट्टा कायरा जणा लूसगा भवंति // 379 // अहमेगेसिं सिलोए पावए भवइ. से समणो भबित्ता समणे-विभंते 2 // 380 // पासहेगे समण्णागएहिं सह असमण्णागए, णममाणेहि अणममाणे विरएहिं अविरए दविए हिं अदविए // 381 // अभिसमेचा पंडिए मेहावी णिट्ठियढे वीरे आगमेणं सया परक्कमेजासि त्ति बेमि // 382 // छठें अज्झयणं चउत्थोद्देसो समत्तो // से गिहेसु वा, गिहतरेसु वा, गामेसु वा, गामंतरेसु वा, णगरेसु वा णगरंतरेसु