________________ 324 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि ओवमाइं ठिई प० / / 31 // ईसाणे कप्पे उक्कोसेणं देवीणं णव पलिओवमाई ठिई प० // 32 / / णव देवणिकाया प० तं. " सारस्सयमाइच्चा वही वरुणा य गहतोया य तुसिया अव्वाबाह अग्गिच्चा चेव रिट्ठा य" // 33 // अव्वाबाहाणं देवाणं णव देवा णव देवसया प० / / 34 // एवं अग्गिच्चावि एवं रिट्ठावि / / 35 / / णव गेवेज्जविमाणपत्थडा प• तं० हेछिमहेछिमगेविज्जयिमाणपत्थडे हेहिममझिम. गेविज्जविमाणपत्थडे हेदिमउपरिमगेविज्जविमाणपत्थडे मज्झिमहेद्विमगेविज्जविमाणपत्थडे मज्झिममज्झिमगेविज्जविमाणपत्थडे मज्झिमउवरिमगेविन्जविमाणपत्थडे उवरिमहेट्ठिमगेविजविमाणपत्थडे उवरिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे उवरिमउपरिमगेविज्जविमाणपत्थडे // 36 // एए सि ण णवण्हं गेविजविमाणपत्थ. डाणं णव णामधिज्जा प० तं० भद्दे सुभद्दे सुजाए सोमणसे पियदरिसणे, सुदंसणे अमोहे य सुप्पबुद्धे जसोधरे / / 37 / / णव विहे आउपरिणामे प० तं० गइपरिणामे गइबंधणपरिणामे ठिइपरिणामे ठिइबंधणपरिणामे उबुंगारवपरिणामे अहे. गारवपरिणामे तिरियंगारवपरिणामे दीहंगारवपरिणामे रहस्संगारवपरिणामे // 38 // णवणवमिया णं भिक्खुपडिमा एगासीए राइं दिए हिं चउहि य पंचुत्तरे हिं भिवासए हिं अहासुत्तं जाव आराहि या यावि भवइ // 39 / / णव विहे पायच्छित्ते प० त० आलोयणारिहे जाव मूलारिहे अणवठ्ठप्पारिहे / / 40 / / जंबूमंदरदाहिणेणं भरहे दीहवेयड्डे णव कूडा प० तं० सिद्धे भरहे खंडग माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा, भरहे वेसमणे या भरहे कृ.डाण णामाई / / 41 // जंबूमंदरदाहिणेणं णिसहे वासहरपधए णवकूडा प० तं० सिद्धे णिसहे हरिवास विदेह हरि धिइ असीओया, अवर विदेहे रुयगे णिस हे कू.डाण णामाणि // 42 // जंबूमंदरपव्वए णंदणवगे णव कूडा प० तं० णंदणे मंदरे चेव णिसहे हेमवए रयय रुयए य, सागर चित्ते वइरे बलबूडे चेव बोद्धये // 43 // जंबूमालवंतववारपव्यए णव कूडा प० तं० सिद्धे य मालवंते, उत्तरकुरु कच्छ सागरे रयए, सीया तह पुण्णणामे हरिस्सहकूडे य बोद्धव्वे // 44 // जंबू० कच्छे दीहवेयड्ढे णव कुडा प० तं० सिद्धे कच्छे खंडग माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा, कच्छे वेसमणे या कच्छे कृडाण णामाई / / 45 // जंबू० सुकन्छे दीहवेयड्डे णव कूडा प० तं० सिद्धे सुकच्छे खंडग माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा; सुकच्छे वेसमणे या सुकच्छे कूडाग णामाई / / 46 // एवं जाव पोक्खलावइंमि दीहवेयड्ढे, एवं वच्छे दीहवेयड्ढे, एवं जाव