________________ 322 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि प० त० एगिंदिया वेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया णेरइया पंचिंदियतिरिक्ख. जोणिया मणुस्सा देवा सिद्धा // 9 // अहवा णवविहा सव्वजींवा प० तं० पढमसमयणेरइया अपढमसमयणेरइया जाव अपढमसमयदेवा सिद्धा // 10 // णवविहा सव्वजीवोगाहणा प० त० पुढविकाइओगाहणा आउ० जाव वणस्सइकाइओगाणा बेइंदियोगाहणा तेइंदियोगाहणा चउरिदियोगाहणा. पंचिंदियोगाहणा / / 11 / / जीवा णं णवहिं ठाणेहिं संसारं वत्तिंसु वा वत्तंति वा वत्तिस्मति वा तं० पुढवि. काइयत्ताए जाव पंचिंदियत्ताए // 12 // णवहिं ठाणेहिं रोगुप्पत्ती सिया तं० अच्चासणाए अहियासणाए अइणिहाए अइजागरिएणं उच्चारणिरोहेणं पासवणणिरोहेणं अद्धाणगमणेणं भोयणपडिकूलयाए इंदियत्थविकोवणयाए / / 13 / / णविहे दरिसणावर गिजे कम्मे प० तं०-णि। णिहाणिहा पयला पयलापयला थीणगिद्धी चक्खुदरिसणावरणे अचक्खुदरिसणावरणे ओहिदरिसणावरणे केवलदरिसणावरणे // 14 / / अभिई णं णखत्ते साइरेगे णवमुहत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोएइ / / 15 / अभिईआइआ णं णवणवत्ता णं चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति तं०, अभिई सवणो धणिहा जाव भरणी // 16 // इमीसे ण रयणप्पंभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ णवजोयणसयाइं उर्दू अबाहाए उवरिल्ले तारारू वे चारं चरइ / / 17 // जंबुद्दीवे णं दीवे णवजोयणिया मच्छा पविसिंसु वा पविसंति वा पवि. सिस्संति वा // 18 // जंबुद्दीवे दीवे भार हे वासे इमीसे ओसप्पिणीए णव बलदेव. वासुदेव पियरो हुत्था तं० पयावई य बंभे य रोहे सोमे सिवेइया, महासी हे अग्गिसीहे दसरह णवमे य वसुदेवे (1) इत्तो आढत्तं जहा समवाये गिरवसेसं जाव एगा से गब्भवसही सिज्झिस्सई आगमिस्सेणं / / 19 // जंबुद्दीवे दीवे भार हे वासे आगमेस्साए उस्सप्पिणीए णवबलदेववासुदेव पियरो भविस्संति णव बलदेव. वासुदेवमायरो भविस्संति, एवं जहा समवाए गिरवसेसं जाव महाभीमसेणे सुग्गीवे य अपच्छिमे; एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं सब्वेवि चकजोही हम्मेहंती सचक्केहिं // 20 // एगमेगे णं महाणिही णवणव जोयणाई विक्खंभेणं प० / एगमेगस्स ण रणो चाउरंतचकवहिस्स णव महाणिहीओ प० तं० "णेसप्पे पंडुयए पिंगलए सव्वरयण महापउमे, काले य महाकाले माणवग महाणिही संखे (1) सप्पंमि णिवेसा गामागरणगरपट्टणाणं च, दोणमृहमबाणं खंधाराणं गिहाणं च (2) गणियस्स य बीयाणं माणुम्माणस्स जं पमाणं च,