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________________ 320 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि भवइ, पावाणं कम्माणं संजमेणमकरणयाए अब्भुढेयव्वं भवइ, पोराणाणं कम्माण तवसा विगिंचणयाए विसोहणयाए अब्भुढेयव्वं भवइ, असंगिहीयपरियणस्स संगिण्हणयाए अब्भुढेयव्वं भवइ, सेहं आयारगोयरगह्णयाए अब्भुट्टेयव्वं भवइ, गिला. णस्स अगिलाए वेयावच्चकरणयाए अब्भुट्टेयव्वं भवइ, साहम्मियाणमधिकरणंसि उप्पण्णंसि तत्थ अणिस्सिओवस्सिओ अपक्खग्गाही मज्झत्थभावभूए कह णु साहम्मिया अप्पसद्दा अप्पझंझा अप्पतुमंतुमा उवसामणयाए अब्भुटेयव्वं भवइ / / 9 / / महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा अट्ट जोयणसयाई उड्ढे उच्चत्तेणं प० / / 91 // अरहओ णं अरिट्ठणेमिस्स अट्ठसया वाईणं सदेवमणुयासुराए परिसाए वाए अपराजियाणं उक्कोसिया वाइसंपया हुत्था // 92 // अट्ठसमइए केवलि. समुग्घाए प० तं० पढमे समए दंडं करेइ बीए समए कवाडं करेइ तइए समए मंथाणं करेइ चउत्थे समए लोगं पूरेइ पंचमे समए लोगं पडिसाहरइ छढे समए मंथं पडिसाहरइ सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरइ अट्ठमे समए दंडं पडि. साहरइ // 93 / / समणस्स णं भगवओ महावीरस्स अट्ठ सया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं जाव आगमेसिभहाणं उक्कोसिया अणुत्तरोववाइयसंपया हुत्था // 94 // अट्ठविहा वाणमंतरा देवा प० तं०-पिसाया भूया जक्खा रक्खसा किण्णरा किंपुरिसा महोरगा गंधवा // 95 / / एएसि णं अट्ठण्हं वाणमंतरदेवाणं अट्ठचेइयरुक्खा प० तं०-कलंबो य पिसायाणं वडो जक्खाण चेइयं तुलसी भूयाणं भवे रक्खसाणं च कंडओ (1) असोओ किण्णराणं च किंपरिसाण य चंपओ: णागरुक्खो भुयंगाणं गंधव्वाण य तेंदुओ (2) / / 96 // इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ अट्ठजोयणसए उड्डबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ / / 97 // अट्ठ णक्खत्ता चंदेणं सद्धिं पमई जोगं जोएंति तं० कत्तिया रोहिणी पुणव्वसू महा चित्ता विसाहा अणुराहा जेट्ठा / 98 / / जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स दारा अट्ठजोयणाई उई उच्चत्तणं प०-सव्वेसिपि दीवसमुद्दाणं दारा अट्ठ. जोयणाई उर्दू उच्चत्तणं प० // 99 // पुरिसवेयणिज्जस्स णं कम्मस्स जहण्णेणं अट्ठ. संवच्छराई बंधठिई प० // 100 // जसोकित्तीणामएणं कम्मस्स जहण्णेणं अट्ठ मुहत्ताई बंधठिई प० // 101 // उच्चगोयस्स णं कम्मस्स एवं चेव / / 102 / / तेइंदियाणमट्ठ जाइकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा प० // 103 / / जीवा णं अट्ठ. ठाणणिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा तं०
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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