________________ 20 अंग-पविटु सुत्ताणि एयं कुसलस्स दंसणं // 305 // तहिट्ठीए तम्मुत्तीए तप्पुरकारे तस्सण्णी तण्णिवेसणे जयं विहारी चित्तणिवाई पंथणिज्झाई पलिबाहिरे, पासिय पाणे गच्छिज्जा। से अभिक्कममाणे पडिक्कममाणे संकुचमाणे पसारेमाणे विणिवट्टमाणे संपलिमज्जमाणे // 306 // एगया गुणसमियस्स रीयओ कायसंफासं समणुचिण्णा एगइया पाणा उद्दायंति; इहलोगवेयणवेज्जावडियं जं आउट्टीयं कम्मं तं परिण्णाय विवेगमेइ, एवं से अप्पमाएणं विवेगं किट्टइ वेयवी // 307 // से पभूयदंसी पभूयपरिणाणे उवसंते समिए सहिए सयाजए, दटुं विप्पडिवेए इ अप्पाणं," किमेस जणो करिस्सइ ? एस से परमारामो जाओ लोगमि इत्थीओ', मुणिणा हु एयं पवेड्यं // 308 // उब्बाहिज्जमाणे गामधम्मेहिं अवि णिब्बलासए, अवि ओमोयरियं कुज्जा, अवि उ8 ठाणं ठाइज्जा, अवि गामणुगामं दूइज्जिज्जा, अवि आहारं वुच्छिदिज्जा, अवि चए इत्थीसु मणं // 309|| पव्वं दंडा पुच्छा फासा, पुव्वं फासा पच्छा दंडा, इच्चेए कलहासंगकरा भवंति। पडिलेहाए आगमित्ता आणविज्जा अणासेवणाए त्ति बेमि // 310 // से णो कहिए, णो पासणिए, णो संपसारए णो मामए णो कयकिरिए, यइगुत्ते; अज्झप्पसंवुडे, परिवज्जए सया पावं, एयं मोणं समणुवासिज्जासि-त्ति बेमि॥३११॥ पंचमं अज्झयणं चउत्थोद्देसो समत्तो॥ से बेमि-तंजहा, अवि हरए पडिपुण्णे समंसि भोमे चिट्ठइ उवसंतरए सारक्खमाणे, से चिट्ठइ सोयमज्झगए, से पास, सव्वओ गुत्ते, पास लोए महेसिणो. जे य पण्णाणमंता पबुद्धा आरंभोवरया सम्ममेयंति पासह; कालस्स कंखाए परिव्वयंति त्ति बेमि // 312 // वितिगिच्छासमावण्णेणं अप्पाणेणं णो लभइ समाहिं // 313 // सिया वेगे अणुगच्छंति, असिया वेगे अणुगच्छंति, अणुगच्छमाणेहिं अणणुगच्छमाणे कहं ण णिविज्जे, तमेव सच णीसंकं जं जिणेहिं पवेइयं // 314 // सड्डिस्स णं समणुण्णस्स संपव्वयमाणस्स समियंति मण्णमाणस्स एगया समिया होइ समियंति मण्णमाणस्स एगया असमिया होइ असमयंति मण्णमाणस्स एगया समिया होइ असमियति मण्णमाणस्स एगया असमिया होइ // 315 // समियंति मण्णमाणस्स समिया वा, असमिया वा, समिया होइ उवेहाए // 316 / / असमियंति मण्णमाणस्स समिया वा, असमिया वा, असमिया होइ उवेहाए ॥३१७||उवेहमाणो अणुवेहमाणं बूया-"उवेहाहि समियाए इच्चेवं तत्थ संधी झोसिओ भवइ " // 318 // से