________________ आयारो सु.१ अ.५ उ. 4-5 19 संगे अवियाणओ से सुपडिबद्धं सूवणीयंति णचा, पुरिसा ! परमचक्खूविप्परिकमा, एएसु चेव बंभचेरं त्ति बेमि।।२८४॥से सुयं च मे, अज्झत्थयं च मे, बंधपमुक्खो अज्झत्थेव // 285 / / इत्थ विरए अणागारे दीहरायं तितिक्खए // 286 // पमत्ते बहिया पास, अप्पमत्तो परिव्वए // 28 // एय मोणं सम्म अणुवासिज्जासित्ति बेमि॥ 288 // पंचमं अज्झयणं बीयोइसो समत्तो॥ आवंती केयावंती लोयंसि अपरिग्गहावंती एएसु चेव अपरिग्गहावंती सुच्चा वई मेहावी, पंडियाण णिसामिया // 289 // समियाए धम्मे आरिए हिं पवेइए बहित्थ मए संधी झोसिए एवमण्णत्थ संधी दुज्झोसए भवइ तम्हा बेमि णो णिण्हवेज वीरियं // 290 // जे पुबुढाई णो पच्छाणिवाई, जे पुबुहाई पच्छाणिवाई, जे णो पुवुढाई णो पच्छाणिवाई, सेऽवि तारिसीए सिया, जे परिण्णाय लोगमण्णेसयंति, एयं णियाय मुणिणा पवेइयं // 29 // इह आणाकंखी पंडिए अणिहे, पुव्वावररायं जयमाणे सया सीलं संपेहाए // 292 // सुणिया भवे अकामे अझंझे // 293 // इमेणं चेव जुज्झाहि, किं ते जुज्झेण बज्झओ ? जुधारिहं खलु दुलई // 294 // जहित्थ कुसलेहिं परिण्णाविवेगे भासिए, चुए हु बाले गम्भाइसु रज्जइ // 295 // अस्सि चेयं पब्बुच्चइ, रूवंसि वा छणंसि वा // 296 // से हु एगे संविद्धपहे मुणी अण्णहा लोगमुवेहमाणे // 297 // इति कम्मं परिण्णाय सवसो से ण हिंसइ ,संजमइ णो पगब्भइ, उवेहमाणो पत्तेयं सायं // 298 // वण्णाएसी णारंभे कंचणं सव्वलोए, एगप्पमुहे विदिसप्पइण्णे णिविण्णचारी अरए पयासु // 299 // से वसुमं सव्वसमण्णागयपण्णाणेणं अप्पाणेणं अकरणिज्ज पावकम्म ते णो अण्णेसी // 300 // सम्म ति पासहा तं मोणं ति पासहा, जं मोणं ति पासहा तं सम्मं ति पासहा, // 301|| ण इमं सक्कं सिढिलेहिं अहिज्जमाणेहिं गुणासाएहिं वंकसमायारेहिं पमत्तेहिं गारमावसंतेहिं / / 302 // मुणी मोणं समायाए, धुणे कम्मसरीरग, पंत लूहं सेवंति, वीरा संमत्तदंसिणो // एस ओहंतरे मुणी, तिण्णे मुत्ते विरए वियाहिएत्ति बेमि // 303 // तइओद्देसो समत्तो॥ . : गामाणुगामं दूइज्जमाणस्स दुजायं दुप्परकंतं भवइ अवियत्तस्स भिक्खुणो // 304|| वयसावि एगे बेइया कुप्पंति माणवा, उण्णयवाणे य णरे महया मोहेण मुज्झइ संबाहा बहवे भुजो 2 दुरइक्कमा अजाणओ, अपासओ, एयं ते मा होउ,