________________ 18 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि से दूरे, णेव से अंतो णेव से दूरे // 264|| से पासइ फुसियमिव कुसग्गे पगुण्ण णिवइयं वाएरियं, एवं बालस्स जीवियं मंदस्स अवियाणओ / / 265 // कराई कम्माइं बाले पकुबमाणे तेण दुक्खेण मूढे विपरियासमुवेइ; मोहेण गम्भ मरणाइ एइ एत्थ मोहे पुणो पुणो // 266 / / संसयं परियाणओ संसारे परिणाए भवइ, संसयं अपरियाणओ संसारे अपरिण्णाए भवइ / / 267 / / जे छेए से सागरियं ण सेवए // 268 // कटु एवं अवियाणओ बिइया मंदस्स बालया / / 269 / / लद्धा हुरत्था पडिलेहाए आगमित्ता आणविज्जा अणासेवणाए त्ति बेमि / / 270 / / पासह एगे रूवेसु गिद्धे परिणिज्जमाणे, एत्थ फाने पुणो पुणो, आवंती केयावंती लोयंसि आरंभजीवी // 271 / / एएसु चेव आरंभजीवी, एत्थवि बाले परिपच्चमाणे रमइ पावेहि कम्मेहिं असरणे सरणंत्ति मण्णमाणे // 272|| इहमेगेसिं एगचरिया भवइ, से बहुकोहे-बहुमाणे-बहुमाए-बहुलोहे-बहुरए-बहुणडे-बहुसढे-बहुसंकप्पे, आसवसक्की पलिउच्छण्णे उट्ठियवायं पवयमाणे "मा मे केइ अदक्खू" अण्णाणपमायदोसेणं, सययं मूढे धम्मं णाभिजाणइ / / 273 // अट्टा पया माणव ? कम्मकोविया जे अणुवरया अविजाए पलिमुक्खमाहु आवट्टमेव अणुपरिय{ति त्ति बेमि // 274 // पंचमं अज्झयणं पढमोद्देसो समत्तो॥ आवंती केयावंती लोयंसी अणारंभजीविणो एएसु चेव अणारंभ जीविणो // 27 // एत्योवरए तं झोसमाणे "अयं संधीति" अदक्खु, जे इमस्स विग्गहस्स अयं खणेत्ति अण्णेसी // 276 // एस मग्गे आरिएहिं पवेइए, उढिए णो पमायए, जाणित्तु दुक्ख पत्तेयं सायं // 277 // पुढो छंदा इह माणवा, पुढो दुक्ख पवेइयं से अविहिंसमाणे अणवयमाणे, पुट्ठो फासे विप्पणोल्लए / एस समिया परियाए वियाहिए // 278 // जे असत्ता पावेहिं कम्मेहिं उदाहु ते आयंका फुसंति इइ उदाहु धीरे ते फासे पुट्ठो अहियासए // 279 // से पुत्वं पेयं, पच्छापेयं भेउरधम्मं विद्धसणधम्म अधुर्व अणिइयं असासयं चयावचइयं विप्परिणामधम्म, पासह एयं रूवसंधि / / 280 // समुप्पेहमाणस्स इक्काययणरयस्स इह विप्पमुक्कस्स णत्थि मग्गे विरयस्स त्ति बेमि // 281 // आवंती केयावंती लोगंसि परिग्गहावंती;-से अप्पं वा, बहुयं वा, अणु वा, थूल वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंत वा, एएसु चेव परिग्गहावंती // 282 / / एवमेवेगेसिं महब्भयं भवइ, लोगवित्तं च णं उवेहाए / / 283 / / एए