________________ आयारो सु. 1 अ. 5 उ. 1,2 पास, णिक्खित्तदंडा जे केइ सत्ता पलियं चयंति, णरे मुयच्चा धम्मविउत्ति अंजू ; आरंभजं दुक्खमिणति णचा, एवमाहु संमत्तदंसिणो // 244 / / ते सव्वे पावाइया दुक्खस्स कुसला परिणमुदाहरंति, इति कम्मं परिणाय सव्वसो // 245 // इह आणाकंखी पंडिए अणिहे, एगमप्पाणं संपेहाए धुणे सरीरं // 246 / / कसेहि अप्पाणं, जरेहि अप्पाणं // 247 // जहा जुण्णाई कट्ठाई हव्ववाहो पमत्थइ, एवं अत्तसमाहिए अणिहे // 248 / / विगिंच कोहं अविकंपमाणे, इमं णिरुद्धाउयं संवेहाए / / 249 / / दुक्खं च जाण अदुवागमेस्सं, पुढो फासाइं च फासे, लोयं च पास, विप्फंदमाणं / / 250 // जे णिन्बुडा, पावहिं कम्मेहिं अणियाणा ते वियाहिया // 251 // तम्हाऽतिविज्जो णो पडिसंजलिज्जासि त्ति बेमि // 252 / / तइओद्देसो समत्तो॥ आवीलए फ्वीलए णिप्पीलए, जहित्ता पुव्वसंजोगं हिच्चा उवसमं / / 253 // तम्हा अविमणे वीरे, सारए समिए सहिए सया जए // 254 // दुरणुचरो मग्गो वीराणं अणियट्टगामीणं / / 255 // विगिंच मंससोणिय, एस पुरिसे दवीए वीरे आयाणिज्जे वियाहिए, जे धुणाइ समुस्सयं वसित्ता बंभचेरंसि / / 256 // णित्तेहिं पलिछिण्णेहिं आयाणसोयगढिए बाले, अव्वोच्छिण्णबंधणे अणभिकंतसंजोए / तमंसि अवियाणओ आणाए लंभो णत्थिं-त्ति बेमि // 257 // जस्स णत्थि पुरा पच्छा, मज्झे तस्स कुओ सिया ? // 258 // से हु पण्णाणमंते बुद्धे आरंभोवरए, सम्ममेयंति पासह, जेण बंधं वहं घोरं परितावं च दारुणं // 259 // पलिछिंदिय बाहिरगं च सोयं, णिक्कम्मदंसी इह मंचिएहिं // 260 // कम्माणं सफलं दळूण तओ णिज्झाइ वेयवी // 261 // जे खलु भो ! वीरा ते समिया सहिया सयाजया संघडदंसिणो आओवरया अहातहं लोगमुवेहमाणा पाईणं पडीणं दाहीणं उईणं इइ सच्चंसि परिचिट्रिंसु // 260 // साहिस्सामो णाणं वीराणं समियाणं सहियाणं, सयाजयाणं संघडदंसिणं आओवरयाणं अहातहा लोगंसमुवेहमाणाणं किमत्थि उवाही ? पासगस्स ण विजइ णत्थि त्ति बेमि / / 263 // च उत्थं अज्झयणं चउत्थोइसो समतो / सम्मत्तं णाम चउत्थमज्झयणं समत्तं // . लोकसार णाम पंचमं अज्झयणं __आवती केयावंती लोयंसि विपरामुसंति अट्ठाए अणट्ठाए वा / एएसु चेव विप्परामुसंति, गुरु से कामा, तओ से मारस्स अंतो जओ से मारस्स अंतो तओ