________________ .. 16 अंग-पविट्ट सुत्ताणि बेमि // 230 // चउत्थं अज्झयणं पढमोइसो समत्तो / / . जे आसवा ते परिस्सवा, जे परिस्सवा ते आसवा / / 231 // जे अणासवा ते अपरिस्सवा, जे अपरिस्सवा ते अणासवा / / 232 // एएं पए संबुज्झमाणे लोयं च आणाए अभिसमिच्चा पुढो पवेइयं / / 233 // आघाइ णाणी इह माणवाणं संसारपडिवण्णाणं संबुज्झमाणाणं विण्णाणपताणं, अट्टावि संता अदुवा पमत्ता, अहा सच्चमिणत्ति-बेमि // 234 // णाणागमो मच्चुमुहस्स अत्थि / इच्छापणीया वंकाणिकेया कालग्गहीआ णिचयणिविट्ठा पुढो पुढो जाई पकप्पयंति // 235 // इहमेगेसि तत्थ-तत्थ संथवो भवइ / अहोववाइए फासे पडिसंवेदयंति // 236 // चिट्ठ रेहिं कम्मेहिं, चिट्ठ परिचिट्ठइ; अचिं8 कूरेहिं कम्मेहिं णो चिट्ठ परिचिट्ठइ / / 237 // एगे वयंति अदुवावि णाणी, णाणी वयंति अदुवावि एगे // 238 / आवंती केयापंती लोयसि समणा य माहणा य पुढो विवायं वयंति, “से दिटुं च णे, सुयं च णे, . मयं च णे, विण्णायं च णे, उड्डे अहं तिरिय दिसासु सव्वओ सुपडिलेहियं च णे सधे पाणा, सब्वे जीवा, सब्वे भूया, सधे सत्ता हतव्वा-अन्जावेयवा-परिघेतव्वापरियावयवा-उद्दवेयन्वा / एत्थं पि जाणह, णत्थित्था दोसो।" अणारियवयणमेयं // 239 / / तत्थ जे ते आरिया, ते एवं वयासी-“से दुट्टिं च भे, दुस्सुयं च भे, दुम्मयं च भे, दुविण्णायं च भे, उ8 अहे तिरियंदिसासु सव्वओ दुप्पडिलेहियं च भे; जं णं तुब्भे एवमाइक्खह, एवं भासह, एवं पण्णवेह एवं पांवेह सचे पाणा सम्वे जीवा सव्वे भूया सधेसत्ता, हतवा, अज्जावेयवा, परिघेतव्वा-परियावेयव्वाउद्दवेयधा एत्थवि जाणह णत्थित्थ दोसो।" अणारियवयणमेयं / 240 / वयं पुण एव. माइक्खामो एवं भासामो, एवं पण्णवेमो, एवं परूवेमो, “सचे पाणा, सब्बे जीवा, सधे भूया, सधे सत्ता, ण हंतव्वा, ण अजायब्वा, ण परिघेतवा, ण परियावेयवा, ण उद्दवेयव्वा, एत्थवि जाणह, णत्थित्थ दोसो / ' आरियवयणमेयं // 241 // पुर्व णिकायसमय, पत्तेयं पत्तेयं पुच्छिस्सामो, हं भो पवाया ! किं भे सायं दुक्खं उदाहु असायं ? समिया पडिवण्णे यावि एवं बूया-सवेसिं पाणाणं, सव्वेसिं भूयाणं, सव्वेसि जीवाणं, सव्वेसि सत्ताणं, असायं, अपरिणिवाणं महाभयं दुक्खं त्ति बेमि // 242 // चउत्थं अज्झयणं बीओईसो समतो॥ ........ * . उबेहे णं बहिया य लोयं, से सबलोयमि जे केइ विष्णू // 243 // अणुवीइ