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________________ आयारो सु. 1 अ. 4 उ. 1, 2 15 जे बहुं णामे से एगं गामे / / 211 / / दुक्खं लोगस्स जाणित्ता, वंता लोगस्स संजोगं, जति वीरा महाजाणं, परेण परं जंति णावखंति जीवियं // 212 / / एगं विगिंचमाणे पुढो विगिंचइ पुढोविगिंचमाणे एगं विगिंचइ / / 213 / / सड्डी आणाए मेहावी // 214 // लोगं च आणाए अभिसमेच्चाअकुओभयं / / 215 // अत्थि सत्थं परेण परं, णत्थि असत्थं परेण परं / / 216 // जे कोहदंसी सेमाणदंसी, जे माणदंसी से मायादंसी, जे मायादंसी से लोभदंसी, जे लोभदंसी से पिज्जदंसी, जे पिज्जदंसी से दोसदंसी, जे दोसदंसी से मोहदंसी, जे मोहदंसी से गब्भदंसी जे गम्भदंसी से जम्मदंसी, जे जम्मदंसी से मारदंसी, जे मारदंसी से णरयदंसी, जे णरयदंसी से तिरियदंसी, जे तिरियदंसी से दुक्खदंसी // 217 // से मेहावी अभिणिवट्टिज्जा, कोहं च-माणं च-मायं च लोहं च-पिजं च-दोसं च-मोहं च-गब्भं च-जम्मं च-मरणं चगरयं च-तिरियं च-दुक्खं च एयं पासगस्स दसणं उवरयसत्थस्सपलियंतकरस्स // 218 / / आयाणं णिसिद्धा सगडब्भि // 219 // किमत्थि ओवाही पासगरस ? " विजइ ? णत्थि त्ति बेमि // 220 // चउत्थोद्देसो समत्तो। सीओसणीयं णाम तइयज्झयणं समत्तं // ॥सम्मत्तं णाम चउत्थं अज्झयणं / से बेमि–जे य अईया, जे य पडुप्पण्णा, जेय आगमिस्सा अरहंता भगवंतो ते सम्वे, एवमाइक्खंति एवं भासंति एवं पण्णविंति, एवं परूविंति-सवे पाणा, सचे भूया, सवे जीवा, सधे सत्ता ण हतब्वा, ण अज्जावेयव्वा, ण परिघेतव्वा | परियावेयव्वा, ण उद्दवेयन्वा // 221|| एस धम्मे सुद्धे, णिइए-सासए-समिच्च लोयं खेयण्णेहिं पवेइए, तंजहा-उढिएसु वा, अणुट्ठिएसु वा, उवट्ठिएसु वा अणुवढिएसु वा, उवरयदंडेसु वा, अणुवरयदंडेसु वा, सोवहिएसु वा, अणुवहिएसु वा, संजोगरएसु वा, असंजोगरएसु वा।।२२२शातचं चेयं तहा चेयं अस्सिं चेयं पवुच्चइ // 223 // ते आइत्तु ण णिहे ण णिक्खिवे, जाणित्तु धम्मं जहा तहा // 224 / / दिटेहिं णिव्वेयं गच्छिज्जा // 225 / / णो लोगस्सेसणं चरे // 226 // जस्स णत्थि इमा णाई अण्णा तस्स को सिया 1 // 227 / / दिटुं सुयं मयं विण्णायं, जं एवं परिकहिज्जइ // 228 // समेमाणा पलेमाणा पुणो पुणो जाई पकप्पंति // 229 / / अहो य राओ य जयमाणे धीरे सया आगयपण्णाणे, पमत्ते बहिया पास अपमत्ते सया परक्कमिजासि त्ति
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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