________________ 314 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि समुच्छेयवाई णियावाई ण संति परलोगवाई // 15 // अट्ठविहे महाणिमित्ते प० तं० भोमे उप्पाए सुविणे अंतलिक्खे अंगे सरे लक्खणे वंजणे // 16 // अट्ठविहा वयणविभत्ती प० तं० णिहेसे पढमा होइ बिड्या उवएसणे; तइया करणंमि कया चउत्थी संपयावणे (1) पंचमी य अवायाणे छट्ठी सस्सामिवायणे; सत्तमी सणिहाणत्थे अट्ठमी आमंतणी भवे (2) तत्थ पढमा विभत्ती णिहेसे सो इमो अहं वत्ति १-बिइया उण उवएसे भण कुण व इमं व तं वत्ति (3) तइया करशूमि कया णीयं च कयं च तेण व मए वा; हंदि णमो साहाए हवइ चउत्थी पयाणमि (4) अवणे गिण्हसु तत्तो इत्तोत्ति व पंचमी अवादाणे; छट्ठी तस्स इमस्स व गयस्स वा सामिसंबंधे (5) हवइ पुण सत्तमीयं इमंमि आहारकालभावे य; आमंतणी भवे अट्ठमी उजह हे जुवाणत्ति (6) / / 17 / / अट्ठ ठाणाई छउमत्थे णं सव्वभावेणं ण याणइ ण पासइ तं० धम्मत्थिकायं जाव गंधं वायं, एयाणि चेव उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली जाणइ पासइ जाव गंधं वायं // 18 / / अढविहे आउवेए प० त० कुमारभिच्चे, कायति गिच्छा, सालाई, सल्लहत्ता, जंगोली, भूयवे जा, खारतंते, रसायणे / / 19 / / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अट्ठग्गम हिसीओ प० तं० पउमा सिवा सई अंजू अमला अच्छरा णवमिया रोहिणी // 20 // ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरणो अग्गमहिसीओ प० तं० कण्हा कण्हराई रामा रामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा / / 21 / / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारणो अढग्गमहि सीओ प० / / 22 / / ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरणो वेसमणस्स महारणो अग्गमहि सीओ प० / / 23 / / अट्ठमहग्गहा प० तं० चंदे सूरे सुके बुहे बहस्सई अंगारए सणिंचरे केऊ / / 24 / / अट्ठविहा तणवणस्सइकाइया प० तं० मूले कंदे खंधे तया साले पवाले पत्ते पुप्फे / / 25 // चउरिंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स अट्ठविहे संजमे कजइ तं० चक्खुमाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ चक्खुमएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवइ एवं जाव फासामाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ फासामएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवइ / / 26 / / चउरिंदिया णं जीवा समारभमाणस्स अट्ठविहे . असंजमे कन्जइ तं० चक्खुमाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवइ चक्खुमएणं दुक्खेणं सजोएत्ता भवइ एवं जाव फासामाओ सोक्खाओ०।। 27 / / अट्ठ सुहुमा प० तं० पाणसुहुमे