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________________ ठाणं ठा.८ 313 तलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ / जावि य से तत्थं बाहिरब्भंतरिया परिसा भवइ, सावि य णं आढाइ परिजाणाइ महारिहेणं आसणेणं उवणिमंतेइ भासं पि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच देवा अवुत्ता चेव अब्भुट्टेति बहुं देवे ! भासउ / से णं तओ देवलोगाओ आउक्खएणं 3 जाव चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाई इमाई कुलाई भवंति, अड्डाई जाव बहुजणस्स अपरिभूयाई तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पञ्चायाइ, से णं तत्थ पुमे भवइ सुरूवे सुवण्णे सुगंधे सुरसे सुफासे इढे कंते जाव मणामे अहीणस्सरे जाव मणामस्सरे आदेज्जवयणे पच्चायाए जाऽविय से तत्थ बाहिरब्भतरिया परिसा भवइ सावि य णं आढाइ जाव बहुमजउत्ते! भासउ // 4 // अट्टविहे संवरे प० तं० सोइंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे भणसंवरे वइसंवरे कायसंवरे / अट्ठविहे असंवरे प० त० सोइंदियअसंवरे जाव कायअसंवरे // 5 / / अट्ठ फासा प० तं० कक्कडे मउए गरुए लहुए सीए उसिणे णिद्धे लुक्खे // 6 // अट्ठविहा लोगठिई प० तं० आगासपइट्ठिए वाए वायपइट्ठिए उदही एवं जहा छट्ठाणे जाव जीवा कम्मपइट्ठिया अजीवा जीवसंगहीया जीवा कम्मसंगहीया // 7 // अट्ठविहा गणिसंपया प० तं० आयारसंपया सुयसंपया सरीरसंपया वयणसंपया वायणासंपया मइसंपया पओगसंपया संगहपरिणाणाम अट्ठमा // 8 // एगमेगे णं महाणिही अट्ठचक्कवालपइट्ठाणे अट्ठजोयणाई. उड्ढे उच्चत्तणं प० // 6 / / अट्ठसमिईओ प० तं० इरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिई उच्चारपासवणखेलजल्लसिंघाणपरिट्ठावणियासमिई मणसमिई वइसमिई कायसमिई // 10 // अट्ठहिँ ठाणेहिं संपण्णे अणगारे अरिहइ आलोयणा पडिच्छित्तए तं० आयारवं आहारवं ववहारवं ओवीलए पकुवए अपरिस्साई णिज्जावए अवायदंसी // 11 // अट्ठहिं ठाणेहिं संपण्णे अणगारे अरिहइ अत्तदोसमालोइत्तए तं० जाइ. संपण्णे कुलसंपण्णे विणयसंपण्णे णाणसंपणे दंसणसंपण्णे चरित्तसंपण्णे खंते दंते // 12 // अट्ठविहे पायच्छित्ते प० तं. आलोयणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहे छेयारिहे मूलारिहे / 13 / / अट्ठ मयट्ठाणा प० तंजाइमए कुलमए बलमए रूवमए तवमए सुयमए लाभमए इस्सरियमए॥१४॥ अट्ठ अकिरियावाई प० तं० एगावाई अणेगावई मितवाई णिम्मितवाई सायवाई
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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