________________ ठाणं. ठा. 7 307 तं० धम्मत्थिकाय, अधम्मत्थिकायं, आगासत्थिकाय, जीवं असरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सई, गंध / / 44 // ए याणि चेव उप्पण्णणाणे जाव जाणइ पासइ, तं. धम्मत्थिकायं जाव गंधं // 45 / / समणे भगवं महावीरे वयरोसभणाराय. संघयणे समचउरंससंठाणसंठिए सत्त रयणीओ उड्ढे उच्चत्तणं हुत्था / / 46 // सत्तविकहाओ प० तं० इत्थिकहा, भत्तकहा, देसकहा, रायकहा, मिउकालणिया, दंसणभेयणी, चरित्तभेयणी // 47 // आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि सत्त अइसेसा प० तं० आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स पाए णिगिज्झिय 2 पप्फोडेमाणे वा पमजेमाणे वा णाइक्कमइ एवं जहा पंचट्ठाणे जाव बाहिं उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे णाइक्कमइ उवगरणाइसेसे भत्तपाणाइसेसे / / 48 / / सत्तविहे संजमे प० तं. पुढविकाइयसंजमे जाव तसकाइयसंजमे अजीवकायसंजमे / / 49 / / सत्त विहे असंजमे प० तं. पुढविकाइयअसंजमे जाव तसकाइयअसंजमे, अजीवकायअसंजमे / / 50 // सत्तविहे आरंभे प० तं० पुढविकाइयआरंभे जाव अजीवकायआरंभे एवमणारंभेवि एवं सारंभे वि एवमसारंभे वि एवं समारंभेवि एवं असमारंभेवि जाव अजीवकायअसमारंभे // 51 // अह भंते ! अयसिकुसुभकोदवकंगुरालग(वराकोसगा)सणसरिसवमूलगबीयाणं एएसि णं धण्णाणं कोट्ठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं जाव पिहियाणं केवइयं कालं जोणी संचिट्ठइ ? गोयमा ! जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त संवच्छराई, तेण परं जोणी पमिलायइ जाव जोणीवोच्छेदे प० // 52 / / बायरआउकाइयाणं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई ठिई प० / / 53 // तच्चाए णं वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसेणं णेरइयाणं सत्त सागरोवमाइं ठिई प० / / 54 / / चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए जहण्णेणं णेरइयाणं सत्तसागरोवमाइं ठिई प० // 55 / / सक्कस्स णं देविंदस्स देवंरणो वरुणस्स महारण्णो सत्त अग्गमहिसीओ प० // 56 / / ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारणो सत्त अग्गमहिसीओ प० // 57 / / ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारणो सत्त अग्गमहिसीओ प० // 58 / / ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरणो अभितरपरिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाइं ठिई प० // 59 // सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अभि. तरपरिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाइं ठिई प० // 60 // सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अग्गमहिसीणं देवीणं सत्त पलिओवमाइं ठिई प० // 61 // सोहम्मे कप्पे