________________ 302 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि विप्पजहमाणे अंडयत्ताए वा पोययत्ताए जाव उब्भियत्ताए वा गच्छज्जा / पोयया सत्तगइया सत्तागइया, एवं चेव, सत्तण्हवि गइरागई भाणियव्वा जाव, उन्भियत्ति // 3 // आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि सत्त संगहठाणा प० तं० आयरियउवज्झाए गणंसि आणं वा धारणं वा सम्मं पउंजित्ता भवइ, एवं जहा पंचट्ठाणे जाव आयरियउवज्झाए गणंसि आपुच्छ्यिचारी यावि भवइ, णो अणापुच्छियचारी यावि भवइ आयरियउवज्झाए गणंसि अणुप्पण्णाई उवगरणाई सम्म उप्पाइत्ता भवइ, आयरिय उवज्झाए गणंसि पुव्वुप्पण्णाइं उवकरणाई सम्मं सारक्खेत्ता संगो. वित्ता भवइ णो असम्म सारक्खेत्ता संगोवित्ता भवइ / / 4|| आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि सत्त असंगहठाणा प०० आयरियउवज्झाए गणंसि आणं वा धारणं वा णो सम्मं पउंजित्ता भवइ, एवं जाव उवगरणाणं णो सम्मं सारक्खेत्ता संगोवेत्ता भवइ // 5 // सत्त पिंडेसणाओ प० // 6 // सत्तपाणेसणाओ प० / / 7 / / सत्त उग्गहपडिमाओ प० // 8 // सत्त सत्तिक्कया प० // 9 // सत्त महज्झयणा प० // 10 // सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एगूणपण्णयाए राइं दिएहिं एगेण य छण्णउएणं भिक्खासएणं अहासुतं ( अहा अत्थं ) जाव आराहिया यावि भवइ // 11 // अहे लोए णं सत्त पुढवीओ प०,सत्त घणोदंहीओ प०, सत्त घणवाया प०, सत्त तणुवाया प०,सत्त उवासंतरा प०,एएसु णं सत्तसु उवासंतरेसु सत्ततणुवाया पइट्ठिया एएसु णं सत्तसु तणुवाएसु सत्त घणवाया पइट्ठिया ए एसु णं सत्तसु घणवाएसु सत्त घणोदही पइट्ठिया / एएसु णं सत्तसु घणोदहीसु पिंडलगपिहुणसंठाणसंठिआओ सत्त पुढवीओ प० तं० पढमा जाव सत्तमा / एयासि णं सत्तण्हं पुढवीणं सत्त णामधेन्जा प० तं० घम्मा वंसा सेला अंजणा रिट्ठा मघा माघवई / एयासि णं सत्तण्हं पुढवीणं सत्त गोत्ता प० तं० रयणप्पभा सक्करप्पभा वालुअप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमा तमतमा // 12 // सत्तविहा बायरवाउकाइया प० तं० पाईणवाए पडीणवाए दाहिणवाए उदीणवाए उड्ढवाए अहोवाए विदि सिवाए / / 13 / / सत्त संठाणा प० त० दीहे रहस्से वट्टे से चउरंसे पिहले परिमंडले // 14 // सत्त भयट्ठाणा प० तं० इहलोगभए परलोगभए आदाणभए अकम्हाभए वेयणभए मरणभए असिलोगभए // 15 // सत्तहिं ठाणेहिं छउमत्थं जाणेज्जा तं० पाणे अइवाएत्ता भवइ मुसं वइत्ता भवइ अदिण्णमाइत्ता भवइ सहफरिसरसरूव