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________________ 296 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि अणाणुबंधिं अमोसलिं चेव छप्पुरिमा णव खोडा पाणी पाणविसोहणी (2) // 41 // छ लेसाओ प० तं. कण्हलेसा जाव सुक्कलेसा / पंचिंदियतिरिकग्वजो. णियाणं छ लेसाओ प० तं० कण्हलेसा जाव सुक्कलेसा / एवं मणुस्सदेवाण वि / / 42 // सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो छ अग्गमहिसीओ प० // 43 // सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो जमस्स महारणो छ अग्गमहिसीओ प० // 44 / / ईसाणस्स णं देविंदस्स मज्झिमपरिसाए देवाणं छ पलिओवमाई ठिई प० // 45 // छ दिसिकुमारिमहत्तरियाओ प० तं० रूवा रूवंसा सुरूवा रूववई रूवकंता रूयप्पभा / छ विज्जुकुमारिमहत्तरियाओ प० तं० आला सक्का सतेरा सोयामणी इंदा घणविज्जुया / / 46 / / धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररणो छ अग्गमहिसीओ प० तं० आला सक्का सतेरा सोयामणी इंदा वणविज्जुया / भूयाणंदस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररणो छ अग्गमहि सीओ प० तं० रूवा रूवंसा सुरूवा रूववई रूवकंता रूयप्पभा / जहा धरणस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स / जहा भूयाणंदस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव महाघोसस्स // 47 // धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररणो छस्सामाणियसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। एवं भूयाणंदस्स वि जाव महाघोसस्स / / 48 / / छव्विहा उग्गहमई प० तं० खिप्पमोगिण्हइ बहुमोगिण्हइ बहुविधमोगिण्हइ धुवमोगिण्हइ अणिस्सि. यमोगिण्हइ असंदिद्धमोगिण्हइ // 49 / / छविहा ईहामई प० तं० खिप्पमीहइ, बहुमीहइ जाव असंदिद्धमीहइ / / 50 || छव्विहा अवायमई प० तं० खिप्पमवेइ जाव असंदिद्धमवेइ / छव्विहा धारणा प० तं० बहुं धारेइ बहुविहं धारेइ पोराणं धारेइ दुद्धरं धारेइ अणिस्सियं धारेइ असंदिद्धं धारेइ / / 51 // छविहे बाहिरए तवे प० तं० अणसणं ओमोयरिया भिक्खायरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसो पडिसंलीणया / / 52 // छविहे अभंतरिए तवे प० तं० पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं तहेव सज्झाओ झाणं विउस्सग्गो / / 53 / / छविहे विवाए प० तं० ओसक्कइत्ता उस्सक्कइत्ता अणुलोमइत्ता पडिलोमइत्ता भइत्ता भेलइत्ता // 54 / / छव्धिहा खुड्डा पाणा प० तं० बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणिया तेउकाइया वाउकाइया // 55 // छविहा गोयरचरिया प० तं० पेडा अद्धपेडा गोमुत्तिया पतंगवीहिया संबुक्कवट्टा गंतुंपञ्चागया / / 56 / / जंबुद्दीवे दावे
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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