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________________ ठाणं ठा.६ 297 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणमिमीसे रयणप्पभाए पुढवीए छ अवकंतमहाणिरया प०० लोले लोलुए उदड्ढे णिदड्ढे जरए पन्जरए / / 57 / / चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए छ अवकंता महाणिरया प० तं० आरे वारे मारे रोरे रोरुए खाडखडे / / 58 / / बंभलोए णं कप्पे छ विमाणपत्थढा प० तं० अरए विरए णीरए णिम्मले वितिमिरे विसुद्धे / / 59 // चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो छ णवत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसइमुहत्ता प० तं० पुवाभवया कत्तिया महा पुव्वाफग्गुणी मूलो पुधासाढा // 60 // चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो छ णक्खत्ता णत्तंभागा अवड्ढक्खेत्ता पण्णरसमुहुत्ता प० त० सय भिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साई जेट्ठा // 61 // चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो छ णक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पणयालीसमुहुत्ता प० तं. रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा उत्तराभद्दवया // 62 / / अभिचंदे णं कुलकरे छ . धणुसयाई उर्दू उच्चत्तेणं हुत्था // 63 / / भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी छ पुव्वसयसहस्साई महाराया हुत्था // 64 // पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणियस्स छसया वाईणं सदेवमणुयासुराए परिसाए अपराजियाणं संर्पया हुत्था / / 65 // वासुपुज्जे णं अरहा छहिं पुरिससएहिं सद्धिं मुंडे जाव पव्वइए // 66 // चंदप्पभे णं अरहा छम्मासे छउमत्थे हुत्था // 67 // तेइंदियाणं जीवाणं असमारभमाणस्स छविहे संजमे कज्जइ तं० घाणामाओ सोक्खाओ अववरोवेत्तां भवइ घाणामएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवइ जिब्भामाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ एवं चेव फासामाओ वि / / 68 / / तेइंदियाणं जीवाणं समारभमाणस्स छविहे असंजमे कमाइ तं० घाणामाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवइ घाणामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवइ जाव फासमएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवइ / / 69 // जंबुद्दीवे दीवे छ अकम्मभूमीओ प० तं० हेमवए हेरण्णवए हरिवासे रम्मगवासे देवकुरा उत्तरकुरा / / 70 / / जंबुद्दीवे दीवे छव्वासा प० त० भरहे एरवए हेमवए हेरण्णवए हरिवासे रम्मगवासे // 71 // जंबुद्दीवे दीवे छव्वासहरपव्वया प० तं० चुल्लहिमवंते महाहिमवंते णिसढे णीलवंते रुप्पी सिहरी / / 72 / / जंबूमंदरदाहिणे णं छ. कूडा प० तं० चुल्लहिमवंतकूडे वेसमणकूडे महाहिमवंतकूडे वेरुलियकूडे णिसढकूडे रुयगकूडे / / 73 // जंबूमंदरउत्तरेणं छ कूडा प० त० णीलवंतकूडे उवदंसंणकडे रुप्पिकूडे मणिकंचणकूडे सिहरिकूड़े ति गिच्छकूडे / / 74 / /
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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