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________________ ठाणं ठा. 4 उ. 2 251 थीण वा चाउक्कालं सज्झायं करेत्तए तं० पुवण्हे अवरण्हे पओसे पच्चूसे // 61 // चउन्विहा लोगठिई प० तं० आगासपइट्ठिए वाए, वायपइट्ठिए उदही, उदहिपइट्ठिया पुढवी, पुढविपइट्ठिया तसा थावरा पाणा // 62 // चत्तारि पुरिसजाया प० तं० तहे णाममेगे णोत हे णाममेगे सोवत्थी णाममेगे पहाणे णाममेगे // 63 / / चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आयंतकरे णाममेगे णो परंतकरे, परंतकरे णाममेगे णो आयतकरे, एगे आयतकरेवि परंतकरेवि, एगे णो आयंतकरे णो परंतकरे। चत्तारि पुरिसजाया प० त० आयतमे णाममेगे णो परंतमे परंतमे णाममेगे णो आयंतमे 4 / चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आयंदमे णाममेगे णो परंदमे, परंदमे णाममेगे णो आयंदमे, एगे आयंदमेवि परंदमेवि, एगे णो आयंदमे णो परंदमे / / 64 // चउबिहा गरहा प० तं० उवसंपन्जामित्ति एगा गरहा, वितिगिच्छामिति एगा गरहा, जं किंचिमिच्छामित्ति एगा गरहा, एवंपि पण्णत्ते एगा गरहा / / 65 / / चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अप्पणो णाममेगे अलमंथू भवइ णो परस्स, परस्स णाममेगे अलमंथू भवइ गो अप्पणो, एगे अप्पणोवि अलमंथू भवइ परस्सवि, एगे णो अप्पणो अलमंथू भवइ णो परस्स // 66 // चत्तारि मग्गा प० तं० उज्जू णाममेगे उज्जू , उज्जू णाममेगे वंके, वंके णाममेगे उज्जू, वंके णाममेगे वंके। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० उज्जू णाममेगे उज्जू 4 / चत्तारि मग्गा प० तं० खेमे णाममेगे खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे 4 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० खेमे णाममेंगे खेमे 4 / चत्तर मग्गा प० तं० खेमे णाममेगे खेमरूवे, खेमे णाममेगे अखेमरूवे 4 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० खेमे णाममेगे खेमरूवे 4 // 67 / / चत्तारि संवुक्का प० तं० वामे णाममेगे वामावत्ते, वामे णाममेगे दाहिणावत्ते, दाहिणे णाममेगे वामावत्ते, दाहिणे णाममेगे दाहिणावत्ते, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया प० तं० वामे णाममेगे वामावत्ते 4 / चत्तारि धूमसिहाओ प० तं. वामा णाममेगा वामावत्ता 4 / एवामेव चत्तारित्थिओ प० तं० वामा णाममेगा वामावत्ता 4 / चत्तारि अग्गिसिहाओ प० तं० वामा णाममेगा वामावत्ता 4 / एवामेव चत्तारित्थिओ प० तं० वामा णाममेगा वामावत्ता 4 / चत्तारि वायमंडलिया, प० त० वामा णाममेगा वामावत्ता 4 / एवामेव चत्तारित्थिओ प० त० वामा णाममेगा बामावत्ता 4 / चत्तारि वणखंडा प० तं० वामे णाममेगे वामावत्ते
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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