________________ आयारो सु. 1 अ. 3 उ. 2, 3 दुक्खं // 166 / / समयं लोगस्स जाणित्ता, इत्थ सत्थोवरए // 167 // जस्सिमे सदा य-रूवा य-गंधा य-रसा य-फासा य-अभिसमण्णागया भवंति, से आयवं-णाणवंवेयवं-धम्मवं-बंभवं-पण्णा गेहिं परियाणइ लोयं मुणीति वच्चे धम्मविउति अंजू आवट्टसोए संगमभिजाणइ सीउसिणवाई, से णिग्गंथे, अरइरइस हे फरुसयं णो वेएइ जागरवेरोवरए-वीरे एवं दुक्खा पमुक्खसि // 168 / / जरामच्चुवसोवणीए गरे सययं मूढे धम्म णाभिजाणइ // 169 // पासिय आउरे पाणे अप्पमत्तो परिव्वए // 170 / / मंता एयं; मइम-पास / / 171 / / आरंभ दुक्खमिणंति णचा, माई पमाई पुण-एइ गब्भं; उवेहमाणो सहरूवेसु अंजू , माराभिसकी मरणा पमुच्चई // 172 // अप्पमत्तो कामेहिं, उवरओ पावकम्मेहि, वीरे आयगुत्ते जे खेयण्णे ॥१७३॥जे पज्जवजायसा स्थस्स खेयण्गे, से असत्थस्स खेयण्णे; जे असत्थस्स खेयण्णे, से पज्जवजाय सत्थस्स खेयण्णे // 174 // अकम्मस्स ववहारो ण विजइ, कम्मुणा उवाही जायइ // 17 // कम्मं च पडिलेहाए, कम्ममूलं च जं छणं // 176 / / पडिलेहिय, सव्वं समायाय दोहिं अंतेहिं अदिस्समाणे // 177 // तं परिण्णाय मेहावी विइत्ता लोग, वंता लोगसणं से मइमं परकमिजासित्ति बेमि // 178 // पढमोद्देसो समत्तो।। . जाई च बुद्धिं च इहज पासे, भूएहिं सायं पडिलेह जाणे / तम्हाऽतिविज्जो परमंति णबा, संमतदंसी ण करेइ पावं // 179|| उम्मुंच पासं इह मच्चिए हिं, आरंभजीत्री उभयाणुपस्सी / कामेसु गिद्धा णिचयं करंति / संसिच्चमाणा पुणरिंति गम्भ // 180 // अवि से हासमासज्ज, हंता गंदीति मण्णइ / अलं बालस्स संगणं वेर वड्डेइ अपणो।।१८।।तम्हा-तिविज्जो परमंति णवा, आयंकदंसी ण करेइ पावं // 182 / / अग्गं च मूलं च विगिंच धीरे, पलिच्छिदिया णं णिकम्मदंसी // 183 // एस मरणा पमुच्चइ से हु दिट्ठभए मुणी, लोयंसी परमदंसी विवित्तजीवी उवसंते समिए सहिए सयाजए कालखी परिव्वए // 184 / / बहुं च खलु पावकम्म पगडं, सबमि घिई कुब्वहा, एत्थोवरए मेहावी सव्वं पावकम्मं झोसेइ / 185 // अणेगचित्ते खलु अयं पुरिसे से केयणं अरिहए पुरइत्तए से अण्णवहाए, अण्ण; परियावाए, अण्मपरिग्गहाए, जणवयवहाए, जणवयपरियावाए, जणवयपरिरगहाए ॥१८६॥आसेवित्ता एयमढ़ इच्चेवेगे समुट्ठिया, तम्हा तं बिइयं णो सेवे णिस्सारं पासिय णाणी // 187 // उववायं चवणं णचा, अणण्णं चर माहणे // 188 // से ण छणे ण छणामए. छणतं णाणुजाणए // 189 // णिव्विंद गंदि अरए पयासु