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________________ 246 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि णो पच्छण्णपडिसेवी, पच्छण्णपडिसेवी, णाममेगे णो संपागडपडिसेवी, एगे संपागड. पडिसेवीवि पच्छण्णपडिसेवीवि, एगे णो संपागडपडिसेवी णो पच्छण्णपडिसेवी / / 42 // चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० कणगा कणगलया चित्तगुत्ता वसुंधरा, एवं जमस्स बरु. णस्स वेसमणस्स / बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरणो, सोमस्स महारणो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० मित्तगा सुभद्दा विज्जुया असणी, एवं जमस्स वेसमणस्स वरुणस्स / धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णो कालवालस्स महारण्णोचत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं. असोगा विमला सुप्पभा सुदंसणा, एवं जाव संखवालस्स / भूयाणंदस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णो कालवालस्स महारणो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० सुणंदा सुभद्दा सुजाया सुमणा, एवं जाव सेलवालस्स, जहा धरणस्स एवं सव्वेसिं दाहिणिंदलोगपालाणं जाव घोसस्स जहा भूयाणंदस्स एवं जाव महाघोसस्स लोगपालाणं / कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० कमला कमलप्पभा उप्पला सुदंसणा, एवं महाकालस्स वि / सुरूवस्स णं भूइंदस्स भूयरणो चत्तारि अग्गमहि सीओ प० तं० रूववई बहुरूवा सुरूवा सुभगा, एवं पडिरूवस्स वि, पुण्णभहस्स णं जक्खिदस्स जक्खरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० पुण्णा बहुपुत्तिया उत्तमा तारगा, एवं माणिभद्दस्स वि / भीमस्स णं रक्खसिंदस्स रक्खसरण्णो चत्तारि अग्गमहि सीओ प० तं० पउमा वसुमई कणगा रयणप्पभा / एवं महाभीमस्स वि किण्णरस्स णं किण्णरिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० त० वडिंसा के उमई रइसेणा रइप्पभा, एवं किंपुरिसस्स वि सुपुरिसस्स णं किंपुरिसिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० रोहिणी णवमिया हिरी पुप्फवई, एवं महापुरिसस्स वि, अइकायस्स णं महोरगिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० भुयगा भुयगवई महाकच्छा फुडा, एवं महाकायस्स वि, गीयरइस्स णं गंधविंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्सई, एवं गीयजसस्स वि, चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरणो चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, एवं सूरस्स वि, णवरं सूरप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा / इंद्यालस्स णं महग्गहस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ प० तं० विजया वेजयंती जयंती अपराजिया / एवं
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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