________________ 244 अंग-पविट्ट सुत्ताणि दु०, एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं // 24 / / चत्तारि पुरिसजाया प० तं० आवायभद्दए णाममेगे णो संवासभहए, संवासभद्दए णाममेगे णो आवायभहए, एगे आवायभदएवि संवासभहए वि, एगे णो आवायभहए णो संवासभद्दए / चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अप्पणो णाममेगे वजं पासइ णो परस्स, परस्स णाममेगे वजं पासइ 4 / चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अप्पणो णाममेगे वजं उदीरेइ णो परस्स 4 / चत्तारि पुरिसजाया प० त० अप्पणो णाममेगे वजं उवसामेइ णो परस्स 4 / चत्तारि पुरिसजाया प० तं० अब्भुढेइ णाममेगे णो अब्भुट्ठावेइ 4 एवं वंदइ णाममेगे णो वंदावेइ 4 एवं सक्कारेइ, सम्माणेइ 4 पूएइ वाएइ पडिपुच्छइ पुच्छइ वागरेइ 4 / चत्तारि पुरिसजाया प० तं० सुत्तधरे णाममेगे णो अत्थधरे, अत्थधरे णाममेगे णो सुत्तधरे, एगे सुत्तधरे वि अत्थधरेवि, एगे णो सुत्तधरे णो अत्थधरे / / 25 // चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चत्तारि लोगपाला प० तं० सोमे जमे वरुणे वेसमणे; एवं बलिस्सवि सोमे जमे वेसमणे वरुणे, धरणस्स कालवाले कोलवाले सेलवाले संखवाले, एवं भूयाणंदस्स कालवाले कोलवाले संखवाले सेलवाले, वेणुदेवस्स चित्ते विचित्ते चित्तपक्खे विचित्तपक्खे, वेणुदालिस्स चित्ते विचित्ते विचित्तपक्खे चित्तपक्खे / हरिकंतस्स पभे सुप्पभे पभकंते सुप्पभकंते; हरिस्सहस्स पंभे सुप्पमे सुप्पभकंते पभकते; अग्गिसिहस्स तेऊ तेउसिहे तेउकंते ते उपमे, अग्गिमाणवस्स लेऊ तेउसिहे तेउप्पमे तेउकते, पुण्णस्स रूए रूयंसे रूयते रूयप्पभे, विसिठुस्स रूए रूयंसे रूयप्पभे रूयते / जलकंतस्स जले जलरए जलकंते जलप्पभे / जलप्पहस्स जले जलरए जलप्पहे जलकंते / अमियगइस्स तुरियगई खिप्पगई सीहगई सीह विक्कमगई / अमियवाहणस्स तुरियगई खिप्पगई सीहविक्कमगई सीहगई; वेलंबस्स काले महाकाले अंजणे रिटे। पभंजणस्स काले महाकाले रिटे अंजणे / घोसस्स आवत्त वियावत्ते णंदियावत्ते महाणंदियावत्ते / महाघोसस्स आवत्ते वियावत्ते महाणंदियावत्ते णंदियावत्ते / सक्कस्स सोमे जमे वरुणे वेसमणे / ईसाणस्स सोमे जमे वेसामणे वरुणे, एवं एगंतरिया जाव अच्चुयस्स ||26|| चउबिहा वाउकुमारा प० तं० काले महाकाले वेलंबे पभंजणे / चउबिहा देवा प० तं० भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया विमाणवासी / / 27 // चउविहे पमाणे प० त० दव्यप्पमाणे खेत्तप्पमाणे कालप्पमाणे भावप्पमाणे // 28 // चत्तारि दिसाकुमारिमहत्तरियाओ प० तं० रूया रूयंसा सुरूवा रूयावई / चत्तारि