________________ आयारो सु. 1 अ.२ उ. 6 11 कम्मकरीणं, आएसाए, पुढो पहेणाए, सामासाए, पायरासाए, संणिहि-संणिचओ फज्जइ, इह मेगेसिं माणवाणं भोयगाए // 122 / / समुट्ठिए अणगारे आरिए आरियपण्णे, आरियदंसी, अयंसंधित्ति, अदक्षु, से णाइए, णाइआवए. णाइयंते समगुजाणइ // 123 // सव्वामगवं परिणाय णिरामगंधो परिव्वए // 124 // अदिस्समाणे कयविक्कएसु; से ण किणे.ण किणावए,किणंतं ण समगुजाणइ // 125 // से भिक्खु कालण्णे-बलण्णे-मायण्णे-खेयण्णे-खणयण्णे-विणयण्णे-ससमयण्णे-परसमयण्णे-भावण्णे-परिग्गहं अममायमागे, कालाणुट्ठाई, अपडिण्णे दुहओ छेत्ता, णियाइ॥१२६।। वत्थं-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणं-उग्गहं च कडासणं, एएस चेव जाणेना // 12 // लद्धे आहारे, अणगारो मायं जाणेज्जा से जहेयं भगवया पवेइयं // 128 // लाभुत्ति ण मज्जिजा, अलाभुत्ति ण सोइज्जा, बहुंपि लर्बु ण णिहे, परिग्गहाओ अप्पाणं अवसंक्किन्जा, अण्णहा णं पासए परिहरिज्जा // 129 / / एस मग्गे आयरिएहिं पवेइए, जहित्य कुसले गोवलिंपिज्जासित्ति बेमि // 130 // कामा दुरइक्कमा, जीवियं दुपडिवूहणं; कामकामी खलु अयं पुरिसे, से सोयइ, जूरइ, तिप्पइ, पिडुइ; परितप्पइ // 13 // आययचक्खू लोगविपस्सी लोगस्स अहो भाग जाणइ, उड़े भाग जाणइ, तिरियभागं जाणइ / / 132 // गढिए लोए अणुपरियट्टमाणे, विइत्ता इह मचिएहिं, एस वीरे पसंसिए जे बद्ध पडिमोयए // 133 // जहा अंतो तहा बाहिं जहा बाहिं तहा अंतो // 134|| अंतो-अंतो पूइदेहतराणि पासइ पुढोवि सवंताई पंडिए पडिलेहाए // 135 // से मइमं परिणाय माय हु लाल पच्चासी, मा तेसु तिरिच्छमप्पाणमावायए // 136 / / कासंकासे खलु अयं पुरिसे, बहुमाई, कडेण मूढे,पुणो तं करेइ लोहं वेरं वड्डेइ अप्पणो // 137 // जमिणं परिकहिज्जइ इमस्स चेव पडिवूहणयाए अमरायइ महासही अट्टमेयं तु पेहाए // 138 // अपरिणाए कंदइ से तं जाणह जमहं बेमि // 139 // ते इच्छ पंडिए पवयमाणे, से हंता, छित्ता, भित्ता, लुंपइत्ता, विलुपइत्ता उद्दवइत्ता, अकडं करिस्सामित्ति मण्णमाणे, जस्सवि य णं करेइ, अलं बालस्स संगणं, जे वा से कारइ वाले, ण एवं अणगारस्स जायइत्ति बेमि // 140 // बीअं अज्झयणं पंचमोद्देसो समत्तो / से तं संबुज्झमाणे आयाणीयं समुट्ठाए तम्हा पावकम्म णेव कुज्जा, ण कार