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________________ 218 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि वा, णिजरिस्संति वा // 82 ।।दुप्पए सिया खंवा अणंता प० दुपएसोगाढा पोग्गला अणंता प० एवं जाव दुगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पण्णत्ता / / 83 / ' तइयं ठाणं पढमो उद्देसो तओ इंदा प० त० णामिंदे-ठवणिंदे-दविंदे / तओ इंदा प० तं० णाणिंदेदंसणिंदे चरित्तिदे, तओ इंदा प० तं देविंदे असुरिंदे-मणुस्सिंदे // 1 // तिविहा विउव्वणा प० तं, बाहिरए पोग्गलए परियाइत्ता एगा विउव्वणा, बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता एगाविउवणा, वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता वि अपरियाइत्ता वि एगा विउवणा, तिविहा विउव्वणा प.. तं० अभंतरए पोग्गले परियाइत्ता एगा विउव्वणा अभंतरए पोग्गले अपरियाइत्ता एगाविउवणा अभंतरए पोग्गले परियाइत्तावि अपरियाइत्तावि एगा विउवणा। तिविहा विउव्वणा प० तं० बाहिरभंतरए पोग्गले परियाइत्ता एगा विउव्वणा बाहिरभंतरए पोग्गले अपरियाइत्ता एगा विउवणा बाहिरब्भंतरए पोग्गले परियाइत्तावि अपरियाइत्तावि एगा विउव्वणा // 2 // तिविहा णेरइया प० तं० कतिसंचिया, अकतिसंचिया अवत्तव्वगसंचिया एवमेगिंदियवज्जा जाव वेमाणिया // 3 // तिविहा परियारणा प० तं० एगे देवे अण्णे देवे अण्णेसिं देवाणं देवीओ य अभिमुंजिय 2 परियारेइ, अप्पणिजिआओ देवीओ अभिमुंजिय 2 परियारेइ अप्पाणमेव अप्पणा विउव्विय 2 परियारेइ, एगे देवे णो अण्णेदेवे णो अण्णेसिं देवाणं देवीओ अभिमुंजिय 2 परियारेइ अप्पणिज्जिआओ देवीओ अभिमुंजिय 2 परियारेइ अप्पाणमेव अप्पणा विउव्विय 2 परियारेइ। एगे देवे णो अण्णेदेवे णो अण्णेसिं देवाणं देवीओ अभिजंजिय 2 परियारेइ, णो अप्पणिज्जियाओ देवीओ अभिजंजिय 2 परियारेइ अप्पाणमेव अप्पाणं विउ. विय 2 परियारेइ / / 4 // तिविहे मेहुणे प० तं० दिव्वे माणुस्सए तिरिक्खजोणिए। तओ मेहुणं गच्छंति तं० देवा मणुस्सा तिरिक्खजोणिया। तओ मेहुणं सेवंति तं० इत्थी पुरिसा णपुंसगा // 5 // तिविहे जोगे प० तं० मणजोगे वयजोगे कायजोगे, एवं णेरइयाणं विगलिंदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं / तिविहे पओगे प० तं० मणपओगे, वयपओगे, कायपओगे; जहा जोगो विगलिंदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं, तहा पओगेवि / तिविहे करणे प० तं० मणकरणे, वयकरणे, कायकरणे, एवं णेरइयाणं विगलिंदियवजाणं जाव वेमाणियाणं / तिविहे करणे पण्णत्ते तं० आरंभ
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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