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________________ ठाणं ठा. 2 उ. 4 215 वा चूलियाइ वा, सीसप्पहेलिअंगाइ वा, सीसप्पहेलियाइ वा, पलिओवमाइ वा, सागरोवमाइ वा उस्सप्पिणीइ वा, ओसप्पिणीइ वा, जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ / / 63 // गामाइ बा, गगराइ वा, णिगमाइ वा, रायहाणीइ वा, खेडाइ वी, कब्बडाइ वा, मडंबाइ वा, दोणमुहाइ वा, पट्टणाइ वा, आगराइ वा, आसमाइ वा, संवाहाइ वा, संणिवेसाइ वा, घोसाइ वा, आरामाइ वा, उज्जाणाइ वा, वणाइ वा, वणखंडाइ वा, वावीइ वा, पुक्खरणीइ वा, सराइ वा, सरपंतीइ वा, अगडाइ वा, तडागाइ वा, दहाइ वा, णदीइ वा, पुढवीइ वा, उदहीइ वा, वातखंधाइ वा, उवासंतराइ वा, वलयाइ वा, विग्गहाइ वा, दीवाइ वा, समुद्दाइ वा, वेलाइ वा, वेइयाइ वा, दाराइ वा, तोरणाइ वा, णेरइयाइ वा, णेरइयावासाइ वा, जाव वेमाणियावासाइ वा, कप्पाइ वा, कप्पविमाणवासाइ वा, वासाइ वा, वासहरपव्वयाइ वा, कडाइ वा, कूडागाराइ वा, विजयाइ वा, रायहाणीइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ / / 64 // छायाइ वा, आतवाइ वा, जोसिणाइ वा, अंधगाराइ वा, ओमाणाइ वा, पमाणाइ वा, उम्माणाइ वा, अइयाणगिहाइ वा, उज्जाणगिहाइ वा, अवलिम्बाइ वा, सणिप्पवायाइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ // 65 // दो रासी प० तं• जीवरासी चेव, अजीवरासी चेव / दुविहे बंधे प० तं० पेजबंधे चेव, दोसबंधे चेव / जीवाणं दोहिं ठाणेहिं पावकम्मं बंधंति . तं० रागेण चेव, दोसेण चेव / जीवाणं दोहिं ठाणेहिं पावकम्मं उदीरेंति तं० अब्भोवगमियाए चेव वेयणाए उवक्कमियाए चेव वेयणाए एवं / वेदेति एवं णिज्जरेंति अब्भोवगमियाए चेव वेयणाए उवक्कमियाए चेव वेयणाए / दोहिं ठाणेहिं आया सरीरं फुसित्ताणं णिजाइ तं० देसेणवि आया सरीरं फुसित्ताणं णिज्जाइ सव्वेणवि आया सरीरं फुसित्ताणं णिज्जाइ, एवं फुरित्ताणं एवं फुडित्ताणं एवं संवट्टित्ताणं णिव्वट्टित्ताणं / दोहिं ठाणेहिं आया केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्जा सवणयाए तंजहा-खएण चेव उवसमेण चेव / एवं जाव मणपज्जवणाणं उप्पाडेज्जा तं० खएण चेव उवसमेण चेव // 66 // दुविहे अद्धोवमिए प० तं० पलिभोवमे चेव सागरोवमे चेव / से किं तं पलिओवमे 1 पलिओवमे-जं जोयणविच्छिण्णं पल्लं एगाहियप्परूढाणं होज्ज गिरंतरणिचियं भरियं वालग्गकोडीणं / 1 / वाससए वाससए एकेके, अवहडंमि जो कालो; सो कालो बोद्धब्बो, उवमा एगस्स पल्लस्स / 2 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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