________________ आयारो सु. 1 अ. 2 उ. 3, 4 9 से मित्तबले, से पिच्चबले, से देवबले, से रायबले, से चोरबले, से अतिहिबले., से किविणवले, से समणवले, इच्चेएहिं विरूवरूवेहिं कजेहिं दंडसमायाणं संपेहाए भया कन्जइ / पावमुक्खुत्ति मण्णमाणे अदुवा आसंसाए // 81 // तं परिणाय मेहावी, णेव सयं एएहिं कज्जेहिं दंडं समारंभिज्जा, णेवण्णं एए हिं कज्जेहिं दंडं समारंभाविज्जा, एएहिं कज्जेहिं दंडं समारंभतवि अण्णं ण समणुजाणिज्जा / / 82 // एस मग्गे आयरिएहिं पवेइए, जहेत्थ कुसले णोवलिंप्पिज्जासि त्ति बेमि // 83 // बी अज्झयणं बीओईसो समत्तो।। से असई उच्चागोए, असई णीयागोए / णो हीणे, णो अइरित्ते णोऽपीहए, इइ संखाए को गोयावाई ? को माणावाई ? कंसि वा एगे गिज्झे ? // 84 // तम्हा पंडिए णो हरिसे, णो कुम्पे, भूएहिं जाण पडिलेह सायं, समिए एयाणुपस्सी, तंजहा-अंधत्तं, बहिरत, मूयत्त, काणतं, कुंटतं, खुजत्त, वडभत्तं, सामत्तं. सबलत्तं सहपमाएणं, अणेगरूवाओ जोणीओ, संधायइ, विरूवरूवे फासे पडिसंवेदेइ // 85 / / से अहुज्झमाणे हओवहए जाइमरणमणुपरियट्टमाणे // 86 // जीवियं पुढो पियं इहमेगेसिं माणवाणं खित्तवत्थुममायमाणाणं // 87 // आरत्तं विरतं मणिकुंडलं, सह हिरण्येण इत्थियाओ परिगिज्झ तत्येव रत्ता // 88 // “ण इत्थ तवो वा, दमो वा, णियमो वा, दिस्सइ," संपुण्णं बाले जीविउकामे लालप्पमाणे मूढे विप्परियासमुवेइ / / 89 // इणमेवणावखंति, जे जणा धुवचारिणो; जाइमरणं परिणाय, चरे संकमणे दढे // 90 // णत्थि कालस्सणागमो // 91 // सवे पाणा पियाउया, सुहसाया, दुक्खपडिकूला, अप्पियवहा, पियजीविणो, जीविउकामा // 92 // सम्वेसि जीवियं पियं // 93 // तं परिगिज्झ दुपयं चउप्पयं अभिजुजिया णं, संसिंचियाणं, तिविहेण जा वि से तत्थ मत्ता भवइ-अप्पा वा बहुगा वा से तत्थ गढिए चिट्ठइ, भोयणाए // 94 // तओ से एगया विविहं परिसिहँ संभूयं महोवगरणं भवइ / तंपि से एगया दायाया वा विभयंति, अदत्तहारो वा से अवहरइ, रायाणो वा से विलुपति, णस्सइ वा से, विणस्सइ वा से, अगारदाहेण वा से डज्झइ // 15 // इइ से परस्सअट्ठाए कूराई कम्माइं बाले पकुव्वमाणे तेण दुक्खेण संमूढे विप्परियासमुवेइ / / 96 // मुणिणा हु एयं पवेइयं // 97 // अणोहंतरा एए. णोय आहे सरित्तए, अतीरंगमा एए, णोयतीरं गमित्तए / अपारंगमा एए णोय पारं गमित्तए