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________________ 200 अंग-पविट्ट सुत्ताणि दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-ऊणाइरित्तमिच्छादसणवत्तिआ चेव तव्वइरित्तमिच्छादसण वत्तिआ चेव // 7 // दो किरियाओ प० तंजहा—दिट्ठिया चेव. पुट्ठिया चेव / दिट्ठियाकिरिया दुविहा प० तंजहा—जीवदिढ़िया चेव अजीवदिट्ठिया चेव, एवं पुट्ठियावि // 8 // दो किरियाओ प० तंजहा-पाडुचिया चेव सामंतोवणिवाइया चेव / पाडुच्चियाकिरिया दुविहा पण्णता, तंजहा-जीवपाडुच्चिया चेव अजीवपाडु. च्चिया चेव, एवं सामंतोवणिवाइयावि // 9 // दो किरियाओ प० तंजहा-साहत्थिया चेव, णेसत्थिया चेव / साहत्थियाकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-जीवसाहत्थिया चेव, अजीवसाहत्थिया चेव, एवं सत्थियावि // 10 // दो किरियाओ प० तंजहा-आणवणिया चेव वेयारणिया चेव, जहेव णेसत्थिया / / 11 // दो किरियाओ प० तंजहा-अणाभोगवत्तिया चेव / अणवखवत्तिया चेव। अणाभोगवत्तियाकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-अणाउत्तआइयणया चेव, अणाउत्तपमज्जणया चेव। अणवकंखवत्तिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-आयसरीरअणवकंखवत्तिया चेव, परसरीरअणवकंखवत्तिया चेव // 12 // दो किरियाओ प० तंजहा-पेज्जवत्तिया चव, दोसवत्तिया चेव / पेज्जवत्तियाकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-मायावत्तिया चेव, लोहवत्तिया चेव / दोसवत्तिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-कोहे चेव माणे चेव / / 13 / / दुविहा गरिहा पण्णत्ता, तं जहा-मणसावेगे गरिहइ वयसावेगे गरिहइ, अहवा गरिहा दुविहा प० दीहं एगे अद्धं गरिहइ, रहस्सं एगे अद्धं गरिहइ // 14 // दुविहे पच्चक्खाणे, मणसावेगे पञ्चक्खाइ, वयसावेगे पच्चक्खाइ, अहवा पच्चक्खाणे दुविहे, दीहं एगे अद्धं पच्चक्खाइ, रहस्सं एगे अद्धं पच्चक्खाइ // 15 // दोहिं ठाणेहिं अणगारे संपण्णे अणाइयं अणवयग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं वीइवए जा, तं जहा-विजाए चेय, चरणेण चेव / / 16 // दो ठाणाई अपरियाइत्ता आया णो केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए, तं जहा--आरंभे चेव परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाइत्ता आया णो केवलं बोहिं बुज्झेजा तं० आरंभे चेव परिग्गहे चेव / दो ठाणाई अपरियाइत्ता आया णो केवलं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइज्जा,तं जहा-आरंभे चेव परिग्गहे चेव, एवं णो केवलं बंभचेरवासमावसेज्जा णो केवलेणं संजमेणं संजमेजा, णो केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा, णो केवलं आभिणिबोहियणाणं उप्पाडेजा, एवं सुयणाण, ओहिणाणं, मणपज्जवणाणं,
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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