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________________ 186 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि अच्चत्थयं पाउणई सिलोगं / / 42 / / सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए णियए माहणाणं / ते पुण्णखंधे सुमहऽज्जणित्ता भवंति देवा इइ वेयवाओ // 43 / / सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए णियए कुलालयाणं / से गच्छइ लोलुवसंपगाढे तिव्वाभितावी णरगाभिसेवी / / 44 // दयावरं धम्म दुगुंछमाणा वहावहं धम्म पसं. समाणा। एगं पि जे भोययई असीलं णिवो णिसं जाइ कुओऽसुरेहिं // 45 // दुहओ वि धम्मम्मि समुट्ठियामो अस्सिं सुठ्ठिच्चा तह एसकालं / आयारसीले बुइएह णाणी ण संपरायम्मि विसेसमत्थि / / 46 / / अव्वत्तरूवं पुरिसं महंतं सणातणं अक्खयमव्वयं च / सव्वेसु भूएसु वि सव्वंओ से चंदो व ताराहि समत्तरूवे // 47 / / एवं ण मिजंति ण संसरंति ण माहणा खत्तिय वेस पेसा / कीडा य पक्खी य सरीसिवा य णरा य सव्वे तह देवलोगा // 48 // लोयं अयाणित्तिह केवलेणं कहंति जे धम्ममजाणमाणा / णासंति अप्पाण परं च णट्ठा संसार घोरम्मि अणोरपारे // 49 / / लोग विजाणंतिह केवलेणं पुण्णेण णाणेण समाहिजुत्ता। धम्मं च समत्तं च कहंति जे उ तारंति अप्पाण परं च तिण्णा / / 50 // जे गरहियं ठाणमिहावसंति जे यावि लोए चरणोववेया / उदाहडं तं तु समं मईए अहाउसो विप्परियासमेव // 51 // संवच्छरेणावि य एगमेगं बाणेण मारेउ महागयं तु / सेसाण जीवाण दयट्ठयाए वासं वयं वित्ति पकप्पयामो // 52 / / संवच्छरेणावि य एगमेगं पाणं हणंता अणियत्तदोसा / सेसाण जीवाण वहेण लग्गा सिया य थोवं गिहिणो वि तम्हा // 53 / / संवच्छरेणावि य एगमेगं पाणं हणंता समणव्वएसु / आयाहिए से पुरिसे अणजे ण तारिसे केवलिणो भवंति / / 54 // बुद्धस्स आणाए इमं समाहिं अस्सिं सुठिच्चा तिविहेण ताई / तरिउ समुहूं व महाभवोघं आयाणवं धम्ममुदाहरेज्जा // 55 // त्ति बेमि // णालंदइज्जं णाम सत्तमं अज्झयणं तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णामं णयरे होत्था रिद्धिस्थिमियसमिद्धे (वण्णओ) जाव पडिरूवे / तस्स णं रायगिहस्स णयरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभाए एत्थ णं णालंदा णामं बाहिरिया होत्था अणेगभवणसयसंणिविट्ठा जाव पडिरूवा / तत्थ णं णालंदाए बाहिरियाए लेवे णाम गाह्मवई होत्था अड्ढे दित्ते वित्ते वित्थिण्णविपुलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणबहुजायरूवरजए आओ.
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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