________________ अंग-पविटु सुत्ताणि सव्वेसि जीवाणं, सम्वेसिं सत्ताणं, असायं अपरिणिव्वाणं, महब्भयं दुक्खं त्ति बेमि // 47 // तसंति पाणा पदिसोदिसासुय / तत्थ-तत्थ पुढो पास, आउरा परिताति संति पाणा पुढोसिया // 48 // लज्जमाणा पुढो पास अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं तसकायसमारंभेणं तसकायसत्यं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ // 49 // तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया। इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदण-माणण-पूयणाए, जाइमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेडं, से सयमेव तसकायसत्थं समारंभइ, अण्णेहिं वा तसकायसत्थं समारंभावेइ, अण्णे वा तसकायसत्थं समारंभमाणे समणुजाणइ; तं से अहियाए, तं से अबोहीए // 50 // से तं संबुज्झमाणे आयाणीयं समुट्ठाय सोचा भगवओ, अणगाराण वा अंतिए इहमेगेसिं णायं भवइ-एस खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु गरए। इच्चत्थं गढिए लोए; जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं तसकायसमारंभेणं तसकायसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ // 51 // से बेमि-अप्पेगे अच्चाए वहंति, अप्पेगे अजिणाए वहति अप्पेगे मंसाए वहंति, अप्पेगे सोणियाए वहंति, एवं हिययाए, पित्ताए वसाए-पिच्छाए-पुच्छाए-बालाए-सिंगाए-विसाणाए-दंताए. दाढाए-णहाए-हारुणीए-अट्ठीए-अट्ठीमिजाए-अट्ठाए-अणट्ठाए-अप्पेगे हिंसिंसु मेत्ति वा वहंति, अप्पेगे हिंसति मेत्ति वा वहंति, अप्पेगे हिंसिस्संति मेत्ति वा हति // 52 // एत्थ सत्थ समारंभमाणस्स इच्चेइ आरंभा अपरिणाया भवंति एत्थ सत्थं असमारंभमाणस्स इच्चेइ आरंभा परिणाया भवंति // 53 // तं परिणाय मेहावी णेवसयं तसकायसत्थं समारंभेजा, णेवण्णेहिं तसकायसत्य समारंभावेज्जा, णेवण्णे तसकायसत्थं समारंभंते समणुजाणेज्जा, जस्सेए ससकायसत्थसमारंभा परिणाया भवंति, से हु मुणी परिण्णायकम्मे त्ति बेमि // 54 // इइ छछोद्देसो / पहू एजस्स दुगंछणाए,आयकदंसी अहिंयंति णचा / जे अज्झत्थं जाणइ,से बहिया जाणइ, जे बहिया जाणइ, से अझत्थं जाणइ / एयं तुलमण्णेसिं / इह संतिगया दविया णावकखंति जीविउ॥५५॥ लज्जमाणा पुढो पास, अणगारा मोत्ति एगे पक्यमाणा; जमिणं विरूवरूवेहिंसत्येहि, वाउकम्मसमारंभेणं वाउसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ // 56 // तत्थ खलु भगवया परिण्णा पैवेइया, इमस्स चेय जीवियस्स परिवंदण-माणण-पूयणाए, जाइमरणमोयणाए दुक्खपडिघायहेडं, से