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________________ सूयगडो सु. 2 अ. 2 167 परपाणपरियावणकरा कजति तओ वि पडिविरया जावज्जीवाए // से जहाणामएअणगारा भगवंतो इरियासमिया भासासमिया एसणासमिया आयाणभण्डमत्तणिक्खेवणासमिया उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपरिट्ठाबणियासमिया मणसमिया वयसमिया कायसमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिं दिया गुत्तबम्भयारी अकोहा अमाणा अमाया अलोभा संता पसंता उवसंता परिणिव्वुडा अणासवा अग्गंथा छिण्णसोया णिरुवलेवा कंसपाइ ब्व मुक्कतोया संखो इव णिरंजणा जीव इव अपडिहयगई गगणतलं पिव णिरालम्बणा वाउरिव अपडिबद्धा सारदसलिलं व सुद्धहियया पुक्खरपत्र व णिरुवलेवा कुम्मो इब गुत्तिंदिया विहग इव विप्पमुक्का खग्गिविसाणं व एगजाया भारण्डपक्खी व अप्पमत्ता कुंजरो इव सोण्डीरा वसभो इव जायत्थामा सीहो इव दुद्धरिसा मंदरो इव अप्पकम्पा सागरो इव गम्भीरा चंदो इव सोमलेसा सूरो इव दित्ततेया जच्चकंचणगं व जायरूवा वसुंधरा इव सव्वफासविसहा सुहुय. हुयासणो विय तेयसा जलंता / णत्थि णं तेसिं भगवंताणं कत्थ वि पडिबंधे भवइ / से पडिबंधे चउन्धिहे पण्णत्ते / तं जहा-अण्डए इ वा पोयए इ वा उग्गहे इ वा पग्गहे इ वा ज णं णं दिस इच्छंति तं णं तं णं दिसं अपडिबद्धा सुइभूया लहुभूया अप्पग्गंथा संजमेण तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति // तेसिं णं भगवंताणं इमा एयारूवा जायामायावित्ती होत्या / तं जहा-चउत्थे भत्ते उटे भत्ते अट्ठमे भत्ते दसमे भत्ते दुवालसमे भत्ते चउदसमे भत्ते अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते दोमासिए तिमासिए चउम्मासिए पंचमासिए छम्मासिए अदुत्तरं च णं उक्वित्तचरया णिक्खित्तचरया उक्खित्तंणिक्खित्तचरया अंतचरगा पंतचरगा लूहचरगा समुदाणचरगा संसहचरगा असंसहचरगा तज्जायसंसहचरगा दिलामिया अदिठ्ठलाभिया पुट्ठलाभिया अपुट्ठलामिया मिक्खलामिया अभिक्खलाभिया अण्णायचरगा उवणिहिया संखादत्तिया परिमिवपिण्डवाइया सुद्धेसणिया अंताहारा पंताहारा अरसाहारा विरसाहारा लूहाहारा तुच्छाहारा अंतजीवी पंतजीवी आयम्बिलिया पुरिमड्डिया णिविगइया अमनमंसासिणो णो णियामरसभोई ठाणाइया पडिमाठाणाइया उकडुआसणिया णेसज्जिया वीरासणिया दण्डायइया लगंडसाइणो अप्पाउडा अगत्तया अकण्डया अणिळुहा (एवं जहोववाइए) धुयकेसमंसुरोमणहा सन्वगायाडिकम्मविप्पमुक्का चिट्ठति / ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहूई
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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