________________ सूयगडो सु. 2 अ.२ 159 दण्डगुरुए दण्डपुरकडे अहिए इमंसि लोगसि अहिए परंसि लोगसि संजलणे कोहणे पिट्ठिमंसी यावि भवइ / एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिज्जइ / दसमे किरियट्ठाणे मित्तदोसवत्तिए त्ति आहिए // 11 // अहावरे एक्कारसमे किरियट्ठाणे मायावत्तिए त्ति आहिज्जइ / जे इमे भवंति-गूढायारा तमोकसिया उलुगपत्तलहुया पव्वयगुरुया ते आरिया वि संता अणारियाओ भासाओ वि पउज्जति, अण्णहासंत अप्पाणं अण्णहा मण्णंति, अण्णं पुट्ठा अण्णं वागरंति, अण्णं आइक्खियव्वं अण्णं आइक्खंति / से जहाणामए केइ पुरिसे अंतोसल्ले तं सल्लं णो सयं णिहरइ णो अण्णे णिहरावेइ णो पडिविद्धंसेइ, एवमेव णिण्हवेइ, अविउट्टमाणे अंतोअंतो रियइ, एवमेव माई मायं कटु णो आलोएइ णो पडिक्कमेइ णो गिदइ णो गरहइ णो विउट्टइ णो विसोहेइ णो अकरणाए अन्भुढेइ णो अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवज्जइ, माई अस्सि लोए पञ्चायाइ माई परंसि लोए पुणो पुणो पञ्चायाइ जिंदइ गरहइ पसंसइ णिच्चरइ ण णियट्टइ णिसिरियं दण्डं छाएइ, माइ असमाहडसुलेस्से यावि भवइ ! एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिज्जइ / एक्कारसमे किरियट्ठाणे मायावत्तिए त्ति आहिए // 12 // अहावरे बारसमे किरियट्ठाणे लोभवत्तिएं त्ति आहिज्जइ / जे इमे भवंति, तं जहा-आरणिया आवसहिया गामंतिया कण्हुईरहस्सिया णो बहुसंजया णो बहुपडिविरया सव्वपाणभूयजीवसत्तेहिं ते अप्पणो सच्चामोसाइं एवं विउज्जंति / अहं ण हतब्बो, अण्णे हंतव्वा, अहं ण अज्जावयव्वो, अण्णे अज्जावेयव्वा, अहं ण परिघेयब्वो, अण्णे परिघेयव्वा, अहं ण परितावेयब्वो, अण्णे परितावेयव्वा, अहं ण उद्दवेयव्वो, अण्णे उद्दवेयव्वा, एवमेव ते इत्थिकामेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया गरहिया अज्झोववण्णा जाव वासाई चउपंचमाइं छद्दसमाइं अप्पयरो वा भुज्जयरो वा भुंजित्तु भोगभोगाइं कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु आसुरिएसु किब्बिसिएसु ठाणेसु उववत्तारो भवंति / तओ विप्पमुच्चमाणे भुजो भुज्जो एलमूयत्ताए तमूयत्ताए जाइमूयत्ताए पच्चायति / एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज्जं ति आहिज्जइ / दुवालसमे किरियट्ठाणे लोभवत्तिए त्ति आहिए / इच्चेयाई दुवालस किरियट्ठाणाई दविएणं समणेण वा माहणेण वा सम्म सुपरिजाणियव्वाइं भवंति // 13 // अहावरे तेरसमे किरियहाणे इरियावहिए त्ति आहिज्जइ / इह खलु अत्तत्ताए संवुडरस अणगारस्स