________________ 156 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि तं जहा--अट्ठादण्डे 1, अणट्ठादण्डे 2, हिंसादण्डे 3, अकम्हादण्डे 4 दिद्विविपरियासियादण्डे 5, मोसवत्तिए 6, अदिण्णवत्तिए 7, अज्झत्थवत्तिए 8, माणवत्तिए 9, मित्तदोसवत्तिए, 10, मायावत्तिए 11, लोभवत्तिए 12, इरियावहिए 13 // 1 // पढमे दण्डसमादाणे अट्ठादण्डवत्तिए त्ति आहिज्जइ / से जहाणामए-केइ पुरिसे आयहेडं वा णाइ हेउं वा अगार हैउँ वा परिवारहेउं वा मित्तहेडं वा णागहेडं बा भूयहेउं वा जनावहेउ वा तं दण्डं तसथावरेहिं पाणेहिं सयमेव णिसिरइ अण्णेण वि णीसिरावेइ अण्णं पि णिसिरंतं समणुयाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज ति आहिज्जइ / पढमे दण्डसमादाणे अट्ठादण्डवत्तिए त्ति आहिए // 2 // अहावरे दोच्चे दण्डमादाणे अणट्ठदण्डवत्तिए त्ति आहिज्जइ / से जहाणामए-केइ पुरिसे जे इमे तसा पाणा भवंति ते णो अच्चाए णो अजिणाए णो मंसाए णो सोणियाए एवं हिययाए पित्ताए वसाए पिच्छाए पुच्छाए वालाए सिंगाए विसाणाए दंताए दाढाए णहाए ण्हारुणिए अट्ठीए अट्ठिमंजाए णो हिंसिंसु मे त्ति णो हिंसंति मे त्ति णो हिं सिस्संति मे त्ति णो पुत्तपोसणाए णो पसुपोसणाए णो अगारपरिवूहणयाए णो समणमाहणवत्तणाहेउं णो तस्स सरीरगस्स किंचि विप्परियाइत्ता भवंति / से हंता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता उज्झिउं बाले वेरस्स आभागी भवइ अणट्ठादण्डे / से जहाणामए केइ पुरिसे जे इमे थावरा पाणा भवंति / तं जहा-इक्कडा इ वा कडिणा इ वा जंतुगा इ वा परगा इ वा मोक्खा इ वा तणा इ वा कुसा इ वा कुच्छगा इ वा पव्वगाइ वा पलाला इ वा, ते णो पुत्तपोसणाए णो पसुपोसणाए णो अगारपरिवूहणयाए णो समणमाहणपोसणयाए णो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता भवंति / से हंता छेत्ता मेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता उज्झिउं बाले वेरस्स आभागी भवइ अणट्ठादण्डे / / से जहाणामए केइ पुरिसे कच्छंसि वा दहंसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा वलयसि मंसि वा गहणंसि वा गहणविदुग्गंसि वा वणंसि वा वणविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वय विदुग्गंसि वा तणाई ऊसविय ऊसविय सयमेव अगणिकायं णिसिरइ अण्णेण वि अगणिकायं णिसिरावेइ अण्णं पि अगणिकायं णिसिरंतं समणुजाणइ अणट्ठोंदण्डे / एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिज्जइ / दोचे दण्डसमादाणे अणट्ठादण्डवत्तिए त्ति आहिए // 3 / / अहावरे तच्चे दण्डसमादाणे हिंसादण्डवत्तिए त्ति