________________ 152 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि माया मे पिया मे भाया मे भगिणी मे भज्जा मे पुत्ता मे धूया मे पेसा मे णत्ता मे सुण्हा मे सुहा मे पिया मे सहा मे सयणसंगंथसंथुया मे / एए खलु मम णायओ अहमवि एएसिं / एवं से मेहावी पुवामेव अप्पणा एवं समभिजाणेज्जा / इह खलु मम अण्णयरे दुक्खे रोयायंके समुप्पज्जेज्जा अणिढे जाव दुक्खे णो सहे / से हंता भयंतारो णायओ इमं मम अण्णयरं दुक्खं रोयायकं परियाइयह अणिढे जाव णो सुहं / ताऽहं दुक्खामि वा सोयामि वा जाव परितप्पामि वा, इमाओ मे अण्णयराओ दुक्खाओ रोयायंकाओ परिमोएह अणिट्ठाओ जाव णो सुहाओ, एवमेव णो लद्धपुव्वं भवइ / तेसिं वा वि भयंताराणं मम णाययाणं अण्णयरे दुक्खे रोयायंके समुप्पज्जेज्जा अणिढे जाव णो सुहे, से हंता अहमेएसिं भयंताराणं णाययाणं इमं अण्णयरं दुक्खं रोयायक परियाइयामि अणिढे जाव षो सुह, मा मे दुक्खंतु वा जाव मा मे परितप्पंतु वा, इमाओ णं अण्णयराओ दुक्खाओ रोयायंकाओ परिमो. एमि अणिट्ठाओ जाव णो सुहाओ, एवमेव णो लद्धपुत्वं भवइ / अण्णस्स दुक्खं अण्णो ण परियाइयइ अण्णेण कडं अण्णो णो पडिसंवेदेइ पत्तेयं जायइ पत्तेयं मरइ पत्तेयं चयइ पत्तयं उववज्जइ पत्तेयं झंझा पत्तेयं सण्णा पत्तेयं मण्णा एवं विष्णू वेयणा / इइ खलु णाइसंजोगा णो ताणाए वा णो सरणाए वा / पुरिसे वा एगया पुब्धि णाइसंजोगे विप्पजहइ, णाइसंजोगा वा एगया पुट्विं पुरिसं विप्पजहंति, अण्णे खलु णाइसंजोगा अण्णो अहमंसि, से किमंग पुण वयं अण्णमण्णेहिं णाइसंजोगेहिं मुच्छामो ? इइ संखाए णं वयं णाइसंजोगं विप्पजहिस्सामो / से मेहावी जाणेजा बहिरंगमेयं, इणमेव उवणीययरागं / तं जहा-हत्था मे पाया मे बाहा मे उरू मे उयरं मे सीसं मे सील मे आऊ मे बलं मे वण्णो मे तया मे छाया मे सोयं मे चक्खू मे घाणं मे जिन्भा मे फासा मे ममाइज्जइ, वयाउ पडिजूरइ / तं जहा-आउसो ! बलाओ वण्णाओ तयाओ छायाओ सोयाओ जाव फासाओ। सुसंधिओ संधी विसंधीभवइ, वलियतरंगे गाए भवइ, किण्हा केसा पलिया भवंति / तं जहा-जं पि य इमं सरीरगं उरालं आहारोवइयं एयं पि य अणुपुव्वेणं विप्पजहियव्वं भविस्सइ / एयं संखाए से भिक्खू भिक्खायरियाए समुट्ठिए दुहओ लोगं जाणेज्जा, तं जहा-जीवा चेव अजीवा चेव, तसा चेव थावरा चेव // 13 // इह खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, संतेगइया समणा माहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, जे इमे तसा थावरा