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________________ सूयगडो सु. 2 अ. 1 149 करणयाए, अवि अंतसो तणमायमवि। से किणं किणावेमाणे हणं घायमाणे पयं पयावेमाणे अवि अंतसो पुरिसमवि कीणित्ता घायइत्ता एत्थं पि जाणाहि णत्थित्थ दोसो। ते. णो एवं विप्पडिवेदेति / तं जहा-किरिया इ वा जाव अणिरए इ वा / एवं ते विरूवरूवेहिं कम्मसमारंभेहिं विरूवरूवाई कामभोगाई समारभंति भोयणाए / एवमेव ते अणारिया विप्प डिवण्णा तं सद्दहमाणा तं पत्तियमाणा जाव इइ ते णो हव्वाए णो पाराए अंतरा कामभोगेसु विसण्णा / दोचे पुरिसजाए पंचमहन्भूइए त्ति आहिए // 10 // अहावरे तचे पुरिसजाए ईसरकारणिए त्ति आहिज्जइ / इह खलु पाईणं वा 6 संतेगइया मणुस्सा भवंति अणुपुव्वेणं लोयं उववण्णा / तं जहाआरिया वेगे जाव तेसिं च णं महंते एगे राया भवइ जाव सेणावइपुत्ता / तेसिं च णं एगइए सड्डी भवइ, कामं तं समणा य माहणा य पहारिंसु गमणाए जाव जहा मए एस धम्मे सुयक्खाए सुपण्णत्ते भवइ / इह खलु धम्मा पुरिसाइया पुरिसोत्तरिया पुरिसप्पणीया पुरिससंभूया पुरिसपज्जोइया पुरिसमभिसमण्णागया पुरिसमेव अभिभूय चिति / से जहाणामए-गण्डे सिया सरीरे जाए सरीरे संवुड्डे सरीरे अभिसमण्णागए सरीरमेव अमिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा पुरिसाइया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति / से जहाणामए–अरई सिया सरीरे जाया सरीरे संवुड्डा सरीरे अमिसमण्णागया सरीरमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसाइया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिटुंति से जहाणामए-वम्मिए सिया पुढविजाए पुढविसंवुड्ढे पुढविअभिसमण्णागए पुढविमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसाइया जाव पुरिसमेव अभिभूय निटंति, से जहाणामए-रुक्खे सिया पुढविजाए पुढविसंवुड्ढे पुढविअभिसमण्णागए पुढविमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसाइया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति। से जहाणामए-पुक्खरिणी सिया पुढविजाया जाम पुढविमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसाइया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति / से जहाणामए-उदगपुक्खले सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसाइया जाव पुरिसमेव अभि भूय चिटुंति / से जहाणामए-उदगबुब्बुए सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसाइया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिटंति / जं पि य इमं समणाणं णिग्गंथाणं उद्दिढे पणीयं वियंजियं दुवालसंयं गणिपिडगं, तं
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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