________________ सूयगडो सु. 2 अ. 1 147 त्ति वा चउरंसे त्ति वा आयए त्ति वा छलंसिए त्ति वा अद्वैसे त्ति वा किण्हे त्ति वा णीले त्ति वा-लोहियहालिहे त्ति वा सुकिले त्ति वा सुन्भिगंधे त्ति वा दुब्भिगंधे त्ति वा तित्ते त्ति वा कडुए त्ति वा कसाए त्ति वा अम्बिले त्ति वा महुरे त्ति वा कक्खडे त्ति वा मउए त्ति वा गुरुए त्ति वा लहुए त्ति वा सीए त्ति वा उसिणे त्ति वा णिद्धे त्ति वा लुक्खे त्ति वा। एवं असंते असंविज्जमाणे / जेसिं तं सुयक्खायं भवइ-अण्णो जीवो अण्णं सरीरं, तम्हा ते णो एवं उपलब्भंति / से जहाणामए-केइ पुरिसे कोसीओ असिं अभिणिवट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो! असी अयं कोसी,एवमेव णत्थि केइ पुरिसे अभिणिन्वट्टित्ता णं उवदंसेत्तारो अयमाउसो! आया इयं सरीरं / से जहाणामए केइ पुरिसे मुंजाओ इसियं अभिणिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो ! मुंजे इयं इसिय,एवमेव णत्थि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं। से जहाणामए-केइ पुरिसे मंसाओ अढि अभिणिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अबमाउसो! मंसे अयं अट्ठी, एवमेव णत्थि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो ! आया इयं सरीरं / से जहाणामए-केइ पुरिसे करयलाओ आमलकं अभिणिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो ! करयले अयं आमलए,एवमेव णत्थि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो! आया इयं सरीरं। से जहाणामए केइ पुरिसे दहीओणवणीयं अभिणिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो ! णवणीयं अयं तु दही,एवमेव णत्थि केइ पुरिसे जाव सरीरं / जे जहांणामए-केइ पुरिसे तिलेहिंतो तेल्लं अभिणिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो तेलं. अयं पिण्णाए, एवमेव जाव सरीरं / से जहाणामए--केइ पुरिसे इक्खूओ खोयरसं अभिणिव्वट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो ! खोयरसे अयं छोए, एवमेव जाव सरीरं / से जहाणामए-केइ पुरिसे अरणीओ अग्गि अभिणिवट्टित्ता णं उवदंसेज्जा अयमाउसो ! अरणी अयं अग्गी, एवमेव जाव सरीरं / एवं असंते असंविजमाणे / जेसिं तं सुयक्खायं भवइ तं जहा-अण्णो जीवो अण्णं सरीरं / तम्हा ते मिच्छा / / से हंता तं हणह खणह छणह डहह पयह आलुम्पह विलुम्पह सह. सक्कारेह विपरामुसह, एयावया जीवे णत्थि परलोए / ते णो एवं विप्पडिवेदेति, तं जहा-किरिया इ वा अकिरिया इ वा सुक्कडे इ वा दुक्कडे इ वा कल्लाणे इ वा पावए इ वा साहू इ वा असाहू इ वा सिद्धी इ वा असिद्धी इ वा णिरए इ वा अणिरए इ वा / एवं ते विरूवरूवेहिं कम्मसमारंभेहिं विरूवरूवाई कामभोगाई समारभति