________________ ... ... आयारो सु. 1 अ. 1 उ. 4 अप्पेगे संपमारए, अप्पेगे उद्दवए // 15 // इत्थं सत्यं समारंभमाणस्स इच्चेए आरंभा अपरिण्णाया भवंति / एत्थ सत्थं असमारंभमाणस्स इचेए आरंभा परिप्रयाया भवंति // 16 // तं परिणाय मेहावी णेव सयं पुढवि सत्थं समारंभेजा, णेवण्णेहिं पुढविसत्थं समारंभावेजा, णेवण्णे पुढविसत्यं समारंभंते समणुजाणेजा। जस्स एए पुढविकम्मसमारंभा परिप्रणाया भवंति से हु मुणी परिण्णायकम्मे त्ति बेमि // 17 // पढमं अज्झयणं बीयो उद्देसो।। से बेमि, से जहावि अणगारे उज्जुकडे, णियायपडिवण्णे अमायं कुबमाणे वियाहिए, जाए सद्धाए णिक्खंतो, तमेवअणुपालिया वियहित्तु विसोत्तियं // 18 // पणया वीरा महावीहिं, लोगं च आणाए अभिसमेच्चा अकुओभयं // 19 // से बेमि-णेव सयं लोग अन्भाइक्खिज्जा, णेव अत्ताणं अब्भाइक्खिज्जा / जे लोयं अन्भाइक्खइ, से अत्ताणं अन्भाइक्खइ, जे अत्ताणं अब्भाइक्खइ, से लोयं अब्भाइक्खइ // 20 // लज्जमाणा पुढो, पास अणगारा मो त्ति एगे पवयमाणा; जमिण विरूवरूवेहिं सत्येहिं उदयकम्मसमारंभेणं उदयसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ // 21 // तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेझ्या, इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदण-माणण-पूयणाए जाइमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेडं, से सयमेव उदयसत्थं समारंभइ, 'अण्णेहिं वा उदयसत्थं समारंभावेइ, अन्ने उदयसत्थं समारंभंते समगुजाणइ तं से.अहियाए तं से अबोहीए // 22 // से तं संबुझमाणे आयाणीयं समुट्ठाय सोचा खलु भगवओ अणगाराणं वा अंतिए इहमेगेसिं णायं भवइ, एस खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णरए / इच्चत्थं गढिए लोए जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं उदयकम्मसमारंभेणं उदयसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ / / 23 / / से बेमि-संति पाणा उदयनिस्सिया जीवा अणेगे, इह च खलु भो ! अणगाराणं उदयजीवा वियाहिया / सत्यं चेत्थं अणुवीइ पासा / पुढो सत्थं पवेइयं // 24 // अदुवा अदिण्णादाणं // 25 // कप्पइ णे कम्पइ णे पाउं, अदुवा विभूसाए, पुढो सत्येहिं विउटुंति एत्थऽवि तेसिं णो णिकर. णाए // 26 / / एत्थ सत्थं समारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा परिण्णाया भवति / एत्थ सत्थं असमारंभमाणस्स इच्छेते आरंभा परिणाया भवंति / तं परिण्णाय मेहावी व सय उदयसत्थं समारंभेजा, णेवण्णेहिं उदयसत्थं समारंभावेज्जा उदय