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________________ अंग-पविट्ट सुत्ताणि अट्टे लोए परिजुण्णे दुस्संबोहे अविजाणए अस्सि लोए पवहिए तत्थ तत्थ पुढो पास, आतुरा परिताति // 10 // संति पाणा पुढोसिया, लज्जमाणा पुढो पास // 11 // अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणा; जमिणं विरूवरूवेहिं पुढविकम्मसमारंभेणं पुढविसत्थं समारंभेमाणे अन्ने अणेगरूवे पाणे विहिंसइ // 12 // तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया / इमस्स चेव जीवियस्स, परिवंदण-माणण-पूयणाए, जाइमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेडं, से सयमेव पुढविसत्थं समारंभइ, अण्णेहिं वा पुढविसत्थं समारंभावेइ / अण्णेवा पुढविसत्थ समारंभंते समणुजाणइ / तं से अहियाए, तं से अबोहिए ॥१३॥से तं संबुज्जमाणे आयाणीयं समुट्ठाय सोचा खलु भगवओ, अणगाराणं वा अंतिए: इहमेगेसिं णायं भवइ-एस खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णरए / इच्चों गढिए लोए जमिणं विरूवरूवेहिं सत्येहिं पुढविकम्मसमारंभेण पुढविसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ // 14 // से बेमि-अप्पेगे अंधमन्भे, अप्पेगे अंधमच्छे; अप्पेगे पायमन्भे, अप्पेगे पायमच्छे, अप्पेगे गुप्फमन्भे, अप्पेगे गुप्फमच्छे, अप्पेगे जंघमन्भे, अप्पेगे जंघमच्छे, अप्पेगे जाणुमब्भे,अप्पेगे जाणुमच्छे, अप्पेगे उरूमब्भे,अप्पेगे उरूमच्छे, अप्पेगे कडिमभे, अप्पेगे कडिमच्छे, अप्पेगे णाभिमब्भे, अप्पेगे णाभिमच्छे, अप्पेगे उयरमब्भे, अप्पेगे उयरमच्छे. अप्पेगे पासमन्भे, अप्पेगे पासमच्छे, अप्पेगे पिट्ठमन्भे, अप्पेगे पिट्ठमच्छे, अप्पेगे उरमब्भे, अप्पेगे उरमच्छे, अप्पेगे हियेयमब्भे, अप्पेगे हिययमच्छे, अप्पेगे धणमब्भे, अप्पेगे थणमच्छे, अप्पेगे खंधमन्भे, अप्पेगे खंधमन्छे, अप्पेगे बाहुमन्भे, अप्पेगे बाहुमच्छे, अप्पेगे हत्यमन्भे, अप्पेगे हत्थमन्छे, अप्पेगे अंगुलिमन्भे, अप्पेगे अंगुलिमच्छे, अप्पेगे णहमन्भे, अप्पेगे णहमच्छे, अप्पेगे गीवमन्भे, अप्पेगे गीवमच्छे, अप्पेगे हणुमन्मे, अप्पेगे हणुमच्छे, अप्पेगे हो?मन्भे. अप्पेगे हो?मच्छे, अप्पेगे दंतमन्भे. अप्पेगे दैतमच्छे, अप्पेगे जिब्भमन्भे, अप्पेगे जिन्भमच्छे, अप्पेगे तालुमम्भे, अप्पेगे तालुमच्छे, अप्पेगे गलमब्भे, अप्पेगे गलमच्छे, अप्पेगे गंडमन्भे, अप्पेगे गंडमच्छे, अप्पेगे कण्णमन्भे, अप्पेगे कण्णमच्छे, अप्पेगे णासमन्भे, अप्पेगे णासमच्छे, अप्पेगे अग्छिमन्भे, अप्पेगे अच्छिमच्छे, अप्पेगे भमुहमभे, अप्पेगे भमुहमच्छे, अप्पेगे णिडालमन्भे, अप्पेगे णिडालमच्छे, अप्पेगे सीसमन्भे, अप्पेगे सीसमच्छे,
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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