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________________ 142 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि . ॥१७||इओ विद्धंसमाणस्स पुणो संबोहि दुल्लहा / दुलहाओ . तहच्चाओ जे धम्मटुं वियागरे // 18 // जे धम्म सुद्धमक्खंति पडिपुण्णमणेलिसं / अणेलिसस्स 'जं ठाणं तस्स जम्मकहा कओ।। 19 // कओ कयाइ मेहावी उप्पज्जति तहागया / तहागया अप्पडिण्णा चक्खू लोगस्सणुत्तरा // 20 // अणुत्तरे य ठाणे से कासवेण पवेइए। जं किच्चा णिव्वुडा एगे णिटुं पावंति पंडिया // 21 // पंडिए वीरियं लद्धं णिग्घा. याय पवत्तगं धुणे पुव्वकडं कम्मं णवं वा वि ण कुबई / / 22 / / ण कुव्वई महावीरे अणुपुवकडं रयं / रयसा संमुहीभूया कम्मं हेच्चाण जं मयं // 23 / / जं मयं सव्वसाहूणं तं मयं सल्लगत्तणं / साहइत्ताण तं तिण्णा देवा वा अभविंसु ते / / 24 / / अभविंसु पुरा धीरा आगमिस्सा कि सुव्वया / दुण्णिबोहस्स मग्गस्स अंतं पाउकरा तिण्णे / / 25 / / त्ति बेमि // ॥गाहा णाम सोलसमं अज्झयणं / अहाह भगवं-एवं से दंते दविए वोसटकाए त्ति वच्चे माहणे त्ति वा 1 समणे त्ति वा 2 भिक्खु त्ति वा 3 णिग्गंथे त्ति वा 4 / पडिआह-भंते ! कहं णु दंते दविए वोसट्ठकाए त्ति वच्चे माहणे त्ति वा समणे त्ति का भिक्खू त्ति वा णिग्गंथे त्ति वा / तं णो बूहि महामुणी // इइ विरए सव्वपावकम्मेहिं पिज्जदोसकलह० अब्भक्खाण. पेसुण्ण० परपरिवाय० अरइरइ० मायामोस० मिच्छादसणसल्लविरए समिए सहिए सया जए णो कुज्झे णो माणी माहणे त्ति वच्चे // 1 // एत्थ वि समणे अणि स्सिए अणियाणे आयाणं च अइवायं च मुसावायं च बहिद्धं च कोहं च माणं च मायं च लोहं च पिजं च दोसं च इच्चेव जओ जओ आयाणं अप्पणो पदोसहेऊ तओ तओ आयाणाओ पुव्वं पडिविरए पाणाइवाया सिआ दंते दविए वोसट्टकाए समणे त्ति वच्चे // 2 // एत्थ वि भिक्खू अणुण्णए विणीए णामए दंते दविए वोसट्टकाए संविधुणीय विरूवरूवे परीसहोवसग्गे अज्झप्पजोगसुद्धादाणे उवट्ठिए ठिअप्पा संखाए परदत्तभोई भिक्खू त्ति वच्चे // 3 // एत्थ वि णिग्गंथे एगे एगविऊ बुद्धे संछिण्णसोए सुसंजए सुसमिए सुसामाइए आयवायपत्ते विऊ दुहओ वि सोयपलिछिण्णे णो पूयणसक्कारलाभट्ठी धम्मट्ठी धम्मविऊ णियागपडिवण्णे समियं चरे दंते दविए वोसट्ठकाए णिग्गंथे त्ति वच्चे // 4 // से एवमेव जाणह जमहं भयंतारो // त्ति बेमि / / पढमे सुयक्खंधे समत्ते //
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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