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________________ 138 अंग-पविटु सुत्ताणि परओ वा वि णचा अलमप्पणो होति अलं परेसिं / तं जोइभूयं च सयावसेज्जा जे पाउकुज्जा अणुवीइधम्मं // 19 // अत्ताण जो जाणइ जो य लोगं गई च जो जाणइ शागई च / जो सासयं जाण असासयं च जाई च मरणं च जणोववायं // 20 // अहो वि सत्ताण विउद्दणं च जो आसवं जाणइ संवरं च / दुक्खं च जो जाणइ णिज्जरं च सो भासिउमरिहइ किरियवायं // 21 // सहेसु रूवेसु असज्जमाणे गंधेसु रसेसु अदुस्समाणे / णो जोवियं णो मरणाहिकंखी आयाणगुत्ते वलया विमुक्के // 22 // त्ति बेमि॥ आहत्तहीयं णाम तेरसमं अज्झयणं आहत्तहीयं तु पवेयइस्सं णाणप्पकारं पुरिसस्स जायं / सओ य धम्मं असओ असीलं संतिं असंतिं करिस्सामि पाउं // 1 // अहो य राओ य समुट्ठिए हिं तहागएहिं पडिलब्भ धम्मं / समाहिमाघायमजोसयंता सत्थारमेवं फरुसं वयंति // 2 // विसोहियं ते अणुकाहयंते जे आयभावेण वियागरेज्जा / अट्ठाणिए होइ बहूगुणाणं जे णाणसंकाइ मुसं वए जा // 3 // जे यावि पुट्ठा पलिउंचयति आयाणमढें खलु वंचइत्ता / असाहुणो ते इह साहु माणी मायण्णि एस्संति अणंतघायं / / 4 // जे कोहणे होइ जयट्ठभासी विओसिंयं जे उ उदीरएज्जा / अंधे व से दंडपहं गहाय अविओसिए धासइ पावकम्मी / / 5 // जे विग्गहीए अण्णायभासी ण से समे होइ अझंझपत्ते / उवायकारी य हिरीमणे य एगंतदिट्ठी य अमाइरूवे // 6 // से पेसले सुहमे पुरिसजाए जच्चण्णिए चेव सुउज्जुयारे। बहूं पि अणुसासिए जे तहच्चा समे हु से होइ अझंझपत्ते // 7 // जे यावि अप्पं धसुमं ति मत्ता संखाय वायं अपरिक्ख कुज्जा / तवेण वाहं सहिउ त्ति मत्ता अण्णं जणं पस्सइ बिम्बभूयं // 8 // एगंतकूडेण उ से पलेइ ण विजई मोणपयंसि गोत्ते। जे माणणटेण विउक्कसेज्जा वसुमण्णतरेण अबुज्झमाणे // 9 // जे माहणे खत्तियजायए वा तहुग्गपुत्ते तह लेच्छई वा। पव्वईए परदत्तभोई गोत्ते ण जे थब्भइ माणबद्धे // 10 ॥ण तस्स जाई व कुलं व ताणं णण्णत्थ विजाचरणं सुचिण्णं / णिक्खम्म से सेवइऽगारिकम्मं ण से पारए होइ विमोयणाए // 11 // णिकिंचणे भिक्खु सुलूहजीवी जे गारवं होइ सिलोगकामी / आजीवमेयं तु अबुज्झमाणो पुणो पुणो विप्परियासुर्वेति / / 12 / / जे भासवं भिक्खु सुसाहुवाई पडिहाणवं होइ विसारए य / आगाढपण्णे सुविभावि.
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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