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________________ सूयगडो सु. 1 अ. 14 139 यप्पा अण्णं जणं पण्णया परिहवेज्जा // 13 // एवं ण से होइ समाहिपत्ते जे पण्णवं भिक्खू विउकसेज्जा / अहवा वि जे लाहमयावलित्ते अण्णं जणं खिंसइ बालपण्णे / / 14 / / पण्णामयं चेव तवोमयं च णिण्णामए गोयमयं च भिक्खू / आजीवगं चेव चउत्थमाहु से पंडिए उत्तमपोग्गले से // 15 // एयाइं मयाई विगिंच धीरा ण ताणि सेवंति सुधीरधम्मा / ते सव्वगोत्तावगया महेसी उच्च अगोत्तं च गई वयंति / / 16 // भिक्खू मुयचे तह दिधम्मे गामं च णगरं च अणुप्पविस्सा / से एसणं जाणमणेसणं च अण्णस्स पाणस्स अणाणुगिद्धे // 17 // अरइं रई च अभिभूय भिक्खू बहूजणे वा तह एगचारी। एगंतमोणेण वियागरेजा एगस्स जंतो गइरागई य // 18 // सयं समेच्चा अदुवा वि सोचा भासेज धम्म हिययं पयाणं / जे गरहिया सणियाणप्पओगा ण ताणि सेवंति सुधीरधम्मा // 19 // केसिंचि तक्काइ अबुज्झ भावं खुदं पि गच्छेज्ज असद्दहाणे / आउस्स कालाइयारं वघाए लद्धाणुमाणे य परेसु अढे // 20 / / कम्मं च छंदं च विगिंच धीरे विणइज्ज ऊ सव्वउ आयभावं / रूवेहि लुप्पंति भयावहेहिं विजं गहाया तसथावरेहिं // 21 ॥ण पूयणं चेव सिलोयकामी पियमप्पियं कस्सइ णो करेजा / सव्वे अणडे परिवजयंते अणाउले या अकसाई भिक्खू // 22 // आहत्तहीयं समुपेहमाणे सव्वेहि पाणेहिं णिहाय दंडं / णो जीवियं णो मरणाहिकंखी परिव्वएज्जा वलया विमुक्के // 23 / / त्ति बेमि / / // गंथों णाम चउद्दसमं अज्झयणं / . गंथं विहाय इह सिक्खमाणो उठान सुबम्भचेरं वसेज्जा / ओवायकारी विणयं सुसिक्खे जे छेय से विप्पमायं ण कुन्जा // 1 // जहा दियापोयमपत्तजायं सावासगा पविउं मण्णमाणं / तमचाइयं तरुणमपत्तजायं ढंकाइ अव्वत्तगमं हरेजा // 2 // एवं तु सेहं पि अपुट्ठधम्मं णिस्सारियं वुसिमं मण्णमाणा। दियस्स छायं व अपत्तजायं हरिंसु णं पावधम्मा अणेगे // 3 // ओसाणमिच्छे मणुए समाहिं अणोसिए णंतकरि ति णचा / ओभासमाणे दवियस्स वित्तं ण णिक्कसे बहिया आसुपण्णो // 4 // जे ठाणओ य सयणासणे य परक्कमे यावि सुसाहुजुत्ते / समिईसु गुत्तीसु य आयपण्णे वियागरिं ते य पुढो वएज्जा // 5 // सहाणि सोचा अदु भेरवाणि अणासवे तेसु परिव्वएज्जा / णिहं च भिक्खू ण पमाय कुजा कहंकहं वा वितिगिच्छतिण्णे
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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