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________________ सूयगडो सु. 1 अ. 10 133 उच्चारं पासवणं हरिएसु ण करे मुणी / वियडेण वा वि साहटु णावमजे कयाइ वि // 19 // परमत्त अण्णपाणं ण भुंजेज कयाइ वि / परवत्थं अचेलो वि तं विजं परिजाणिया // 20 // आसंदी पलियंके य णिसिज्जं च गिहतरे। संपुच्छणं सरणं वा तं विजं परिजाणिया // 21 // जसं कित्तिं सिलोयं च जा य वंदणपूयणा / सव्वलोयंसि जे कामा तं विनं परिजाणिया // 22 // जेणेहं णिव्वहे भिक्खू अण्णपाणं तहाविहं / अणुप्पयाणमण्णेसिं तं विजं परिजाणिया // 23 // एवं उदाहु णिग्गंथे महावीरे महामुणी / अणंतणाणदंसी से धम्म देसितवं सुयं // 24 // भासमाणो ण भासेज्जा णेव वम्फेज मम्मयं / माइट्ठाणं विवजेजा अणुचिंतिय वियागरे // 25 // तत्थिमा तइया भासा जं वइत्ताणुतप्पई / जं छण्णं तं ण वत्तव्वं एसा आणा णियण्ठिया // 26 // होलावायं सहीवायं गोयावायं च णो वए / तुमं तुम ति अमणुण्णं सव्वसो त ण वत्तए / // 27 // अकुसीले सया भिक्खू णेव संसग्गियं भए / सुहरूवा तत्थुवस्सग्गा पडिबुज्झेज ते विऊ // 28 // णण्णत्थ अंतराएणं परगेहे ण णिसीयए / गामकुमारियं किडु णाइवेलं हसे मुणी / / 29 / अणुस्सुओ उरालेसु जयमाणो परिव्वए / चरियाए अप्पमत्तो पुट्ठो तत्थऽहियासए // 30 // हम्ममाणो ण कुप्पेज वुच्चमाणो ण संजले / सुमणे अहियासेजा ण य कोलाहलं करे // 31 // लद्धे कामे ण पत्थेजा विवेगे एवमाहिए / आयरियाई सिक्खेज्जा बुद्धाणं अंतिए सया॥३२॥ सुस्सूसमाणो उवासेज्जा सुप्पण्णं सुतवस्सियं / वीरा जे अत्तपण्णेसी घिइमंता जिइंदियां // 33 // गिहे दीवमपासंता पुरिसादाणिया गरा। ते वीरा बंधणुम्मुक्का णावखंति जीवियं // 34 // अगिद्धे सद्दफासेसु आरम्भेसु अणिस्सिए / सव्वं तं समयाईयं जमेयं लवियं बहु // 35 // अइमाणं च मायं च तं परिण्णाय पंडिए / गारवाणि य सव्वाणि णिव्वाणं संधए मुणि // 36 // त्ति बेमि // ... ॥समाही णाम दसमं अज्झयणं / आघ मईमं अणुवीइ धम्म अंजू समाहिं तमिमं सुणेह / अपडिण्ण भिक्खू उ समाहिपत्ते अणियाण भूएसु परिव्वएज्जा // 1 // उड्डे अहे ये तिरियं दिसासु तसां य जे थावर जेय पाणा। हत्थेहि पाए हि य संजमित्ता अदिण्णमण्णेसु य णो . गहेजा ॥२।।सुयक्खायधम्मे वितिगिच्छतिण्णे लाढे चरे आयतुले पयासु / आयं ण
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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