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________________ 132 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि सम्मत्तदंसिणो / सुद्धं तेसिं परवंतं अफलं होइ सव्वसो // 23 // तेसिं पि ण तवो सुद्धो णिक्खंता जे महाकुला / जंणेवण्णे वियाणंति ण सिलोग पवेज्जए // 24 // अप्पपिण्डासि पाणासि अप्पं भासेज सुब्बए / खंतेऽभिणिबुडे दंते वीयगिद्धी सया जए // 25 // झाणजोगं समाह? कायं विउसेज सव्वसो। तितिक्खं परमं णच्चा आमोक्खाए परिव्वएज्जासि // 26 // त्ति बेमि // ॥धम्मो णाम णवमं अज्झयणं // कयरे धम्मे अक्खाए माहणेण मईमया / अंजु धम्मं जहातचं जिणाणं तं सुणेह मे // 1 // माहणा खत्तिया वेस्सा. चण्डाला अदु बोकसा / एसिया वेसिया सुद्दा जे य आरम्भणिस्सिया / / 2 // परिग्गहणिविट्ठाणं पावं तेसिं पवढई / आरम्भसंभिया कामा ण ते दुक्खविमोयगा / / 3 // आघायकिच्चमाहेउं णाइओ विसए सिणो। अण्णे हरंति तं वित्तं कम्मी कम्मेहि किच्चई / / 4 // माया पिया ण्हसा भाया भजा पुत्ता य ओरसा। णालं ते तव ताणाय लुप्पंतस्स सकम्मुणा // 5 // एयमढें सपेहाए परमाणुगामियं / णिम्ममो णिरहंकारो चरे भिक्खू जिणाहियं // 6 // चिच्चा वित्तं च पुत्ते य णाइओ य परिग्गहं / चिच्चा णं अंतगं सोयं णिरवेक्खो परिव्वए // 7 // पुंढवी उ अगणी वाऊ तणरुक्ख सबीयगा / अण्डया पोयजराऊ रससंसेयउब्भिया // 8 // एएहिं छहिं काएहिं तं विजं परिजाणिया। मणसा कायवक्केणं णारम्भी ण परिग्गही // 9 // मुसावायं बहिद्धं च उग्गहं च अजाइया / सत्थादाणाइं लोगंसि तं विजं परिजाणिया / / 10 // पलिउंचणं च भयणं च थंडिल्लुस्सयणाणि य / धूणादाणाइं लोगंसि तं विजं परिजाणिया // 11 // धोयणं रयणं चेव वत्थीकम्मं विरेयणं / वमणंजणपलीमंथं तं विजं परिजाणिया।॥१२॥ गंधमल्लसिणाणं च दंतपक्खालणं तहा / परिग्गहित्थिकम्मं च तं विजं परिजाणिया // 13 // उद्देसियं कीयगडं पामिचं चेव आहडं / पूर्व अणेसणिज्जं च तं विजं परिजाणिया // 14 / / आसूणिमक्खिरागं च गिधुवघायकम्मगं / उच्छोलणं च ककं च तं विजं परिजाणिया // 15 // संपसारी कयकिरिए पसिणाययणाणि य / सागारियं च पिण्डं च तं विजं परिजाणिया // 16 // अट्ठावयं ण सिक्खिज्जा वेहाईयं च णो वए / हत्थकम्मं विवायं च तं विजं परिजाणिया / / 17 // पाणहाओ य छत्तं च णालीयं वालवीयणं / परकिरियं अण्णमण्णं च तं विजं परिजाणिया // 18 //
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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