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________________ 126 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि लोहियपूयपुण्णा // 24 // पक्खिप्प तासु पययंति बाले अट्टस्सरे ते कलुणं रसते / तण्हाइया ते तउतम्बतत्तं पज्जिजमाणट्टयरं रसंति / / 25 // अपेण अप्पं इह वंचइत्ता भवाहमे पुव्वसए सहस्से / चिट्ठति तत्था बहुकूर कम्मा जहा कडं कम्म तहासि भारे / / 26 / / समजिणित्ता कलुसं अणजा इटेहि कंतेहि य विप्पहूणा / ते दुभिगंधे कसिणे य फासे कम्मोवगा कुणिमे आवसंति / / 27 // त्ति बेमि / / ॥पंचमं अज्झयणं बीओ उद्देसो॥ अहावरं सासयदुक्खधम्मं तं भे पवक्खामि जहातहेणं / बाला जहा दुक्कड. कम्मकारी वेयंति कम्माई पुरेकडाइं // 1 // हत्थेहिं पाए हि य बंधिऊणं उयरं विकतंति खुरासिएहिं / गिण्हित्तु बालस्स विहत्तु देहं वद्धं थिरं पिट्ठउ उद्धरंति // 2 // बाहू पकत्तंति य मूलओ से थूलं वियासं मुहे आडहति। रहंसि जुत्तं सरयंति बालं आरुस्स विज्झति तुदेण पिढे // 3 // अयं व तत्तं जलियं सजोइ तऊवम भूमिमणुक्कमंता / ते डज्झमाणा कलुणं थणंति उसुचोइया तत्तजुगेसु जुत्ता // 4 // बाला बला भूमिमणुकमंता पविजलं लोहपहं च लत्तं / जंसीऽभिदुग्गंसि पवजमाणा पेसे व दण्डेहि पुरा करेंति // 5 // ते संपगादसि पवजमाणा सिलाहि हम्मंति णिपातिणीहिं / संतावणी णाम चिरहिईया संतप्पई जत्थ असाहुकम्मा // 6 // कंदसु पक्खिप्प पयंति बालं तओ वि दड्डा पुण उप्पयंति / ते उड्ढकाएहिं पखन्जमाणा अवरेहिं खजति सण'फए हिं // 7 // समूसियं णाम विधूमठाणं जं सोयतत्ता कलुणं थणंति / अहोसिरं कटु विगत्तिऊणं अयं व सत्थेहि समोसवेंति / / 8 / / समूसिया तत्थ विसूणियंगा पक्खीहि खजंति अओमुहेहिं / संजीवणी णाम चिरढ़िईया जंसी पया हम्मइ पावचेया // 9 // तिक्खाहि सूलाहि णिवाययंति वसोगयं सावययं व लद्धं / ते सूलविद्धा कलुणं थणंति एगंतदुक्खं दुहओ गिलाणा // 10 // सया जलं णाम णिहं महंत जंसी जलतो अगणी अकट्ठो / चिट्ठति बद्धा बहुकूर कम्मा अरहस्सरा केइ चिरठिईया / / 11 / चिया महंतीउ समारभित्ता छुब्भंति ते तं कलुणं रसंतं / आवट्टई तत्थ असाहुकम्मा सप्पी जहा पडियं जोइमज्झे // 12 // सया कसिणं पुण घम्मठाणं गाढोवणीयं अइदुक्खधम्मं / हत्थेहि पाए हि य बंधिऊणं सत्तुव्वदण्डेहि समारभंति // 13 // भंजति बालस्स वहेण पुट्ठी सीसं पि भिंदंति अयोधणेहिं / ते भिण्णदेहा फलगं व तच्छा तत्ताहि आराहि णियोजयंति / / 14 / /
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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