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________________ 124 अंग-पविट्ट सुत्ताणि णयं विजाणेहि // 10 // संडासगं च फणिहं च सीहलिपासगं च आणाहि / आयंसगं च पयच्छाहि दंतपक्खालणं पवेसाहि // 11 // पूयफलं तंबोल्लयं सूई सुत्तगं च जाणाहि / कोसं च मोयमेहाए सुप्पुक्खलगं च खारगालणं च // 12 // चंदालगं च करगं च वच्चघरं च आउसो ! खणाहि / सरपाययं च जायाए गोरहगं च सामणेराए // 13 // घडियं च सडिण्डिमयं च चेलगोलं कुमारभूयाए / वासं समभिआवण्णं आवसहं च जाण भत्तं च / / 14 // आसंदियं च णवसुत्तं पाउल्लाई संकमाए / अदु पुत्तदोहलहाए आणप्पा हवंति दासा वा // 15 // जाए फले समुप्पण्णे गेण्हसु वा णं अहवा जहाहि / अह पुत्तपोसिणो एगे भारवहा हवंति उट्टा वा // 16 // राओ वि उठ्ठिया संता दारगं च संठवंति धाई वा / सुहिरामणा वि ते संता वत्थधोवा हवंति हंसा वा / / 17 // एवं बहुहिं कय पुव्वं भोगत्थाए जेऽभियावण्णा / दासे मिए व पेसे वा पसुभूए व से ण वा केई // 18 // एवं खु तासु विण्णप्पं संथवं संवासं च वजेजा। तजाति या इमे कामा वज्जकरा य एवमक्खाए // 19 // एयं भयं ण सेयाए इइ से अप्पगं णिरुम्भित्ता / णो इत्थि णो पसं भिक्खू णो सयं पाणिणा णिलिजेज्जा // 20 // मुविसुद्धलेसे मेहावी परकिरियं च वजए णाणी। मणसा वयसा काएणं सव्वफाससहे अणगारे // 21 // इच्चेवमाहु से वीरे धुयरए धुयमोहे से भिक्खू / तम्हा अज्झत्थविसुद्धे सुविमुक्के आमोस्खाए परिव्वए जासि / / 22 // त्ति बेमि // ॥णरयविभत्ती णाम पंचमं अज्झयणं पढमो उद्देसो॥ पुच्छिस्सहं केवलियं महेसि कहं भितावा णरगा पुरत्था ? / अजाणाओ मे मुणि बूहि जाणं कहिं णु बाला णरयं उर्वति // 1 // एवं मए पुढे महाणुभावे इणमोऽब्बवी कासवे आसुपण्णे / पवेयइस्सं दुहमदुग्गं आईणियं दुक्कडिणं पुरत्था // 2 // जे केइ बाला इह जीवियट्ठी पावाइं कम्माई करेंति रुद्दा / ते घोररूवे तमिसंधयारे तिव्वाभितावे णरए पडंति // 3 // तिव्वं तसे पाणिणो थावरे य जे हिंसई आयसुहं पडुच्चा / जे लूसए होइ अदत्तहारी ण सिकाबई सेयवियस्स किंचि / / 4 // पागन्भि पाणे बहुणं तिवाइ अणिब्बुए घायमुवेइ बाले / णिहो णिसं गच्छइ अंतकाले अहोसिरं कट्ठ उवेइ दुग्गं / / 5 / / हण छिंदह भिंदह णं दहेइ सहे सुणेता परहम्मियाणं / ते णारगाओ भयभिण्णसण्णा कंखंति कं णाम दिसं वयामो // 6 // इंगाल
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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